लोकसभा चुनाव में पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल में भाजपा अपने कमजोर हो चुके गढ़ को फिर से हासिल करने के लक्ष्य के साथ चुनावी मैदान में है जहां की कुल आठ लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की हार-जीत में दलित, आदिवासी और किसान मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। सूबे में नवंबर 2018 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों की हार के ताजा जख्मों के मद्देनजर भाजपा ने इस अंचल में बड़ी सर्जरी करते हुए अपने कब्जे वाली सात में से पांच लोकसभा सीटों पर चुनावी प्रत्याशी बदल दिए हैं। भाजपा ने उज्जैन (अनुसूचित जाति के लिये आरक्षित) से निवर्तमान सांसद चिंतामणि मालवीय की जगह पूर्व विधायक अनिल फिरोजिया, धार (अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित) से निवर्तमान सांसद सावित्री ठाकुर की जगह पूर्व सांसद छतरसिंह दरबार, इंदौर से सतत आठ बार की सांसद और निवर्तमान लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की जगह इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व चेयरमैन शंकर लालवानी और खरगोन (अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित) से निवर्तमान सांसद सुभाष पटेल की जगह भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र पटेल को टिकट दिया है।
बहरहाल, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता उमेश शर्मा ऐसी खबरों को खारिज करते हैं कि क्षेत्रीय मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं में कथित तौर पर गहरे असंतोष के कारण मालवा-निमाड़ के इन निवर्तमान सांसदों का टिकट काट दिया गया है। शर्मा ने कहा, यह बेहद स्वाभाविक बात है कि कोई निर्वाचित जन प्रतिनिधि लंबे समय तक आम लोगों के बीच काम करता है, तो उस लेकर छोटी-मोटी नाराजगी हो सकती है। हालांकि, मालवा-निमाड़ में भाजपा संगठन द्वारा अलग-अलग पैमानों के आधार पर चुनावी उम्मीदवार तय किए हैं। मालवा-निमाड़ की आठों सीटों पर 19 मई को मतदान होना है। इस अंचल में भाजपा के उम्मीदवार खासकर राष्ट्रवाद के मुद्दे की पृष्ठभूमि में नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों के नाम पर वोट मांग रहे हैं। वे इस किसान बहुल क्षेत्र में आयोजित सभाओं में मप्र की कमलनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए बराबर यह आरोप भी लगा रहे हैं कि 15 साल बाद सूबे की सत्ता में आई कांग्रेस अन्नदाताओं का कर्ज माफ करने का अहम चुनावी वादा निभाने में नाकाम रही है।
इसके बाद प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला भाजपा के आरोप को नकारते हुए कहा हैं कि सभी को पता है कि कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के फौरन बाद किसान कर्ज माफी की सरकारी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इस मुद्दे को लेकर भाजपा मतदाताओं के बीच भ्रम फैला रही है। मालवा-निमाड़ की ही देवास (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित) सीट से उम्मीदवारी के लिए भाजपा ने एकदम नए चेहरे के रूप में सामने आये महेंद्र सिंह सोलंकी पर दांव खेला है। सोलंकी न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देकर चुनावी राजनीति में उतरे हैं। वर्ष 2014 के पिछले लोकसभा चुनावों में देवास सीट से मनोहर ऊंटवाल भाजपा सांसद के रूप में निर्वाचित हुए थे। पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान ऊंटवाल आगर सीट से चुनाव लड़कर पार्टी के विधायक चुने गये थे। इसके बाद बतौर सांसद अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
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अपने ताकतवार गढ़ पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा-निमाड़ अंचल को साधने में जुटी भाजपा