नई दिल्ली । दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित डीयू के कॉलेजों में वित्तीय अनियमितता सहित अन्य मामलों को लेकर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदया के आरोपों का डीयू की प्रिंसिपल एसोसिएशन ने प्रेसवार्ता कर खंडन किया है। प्रिंसिपल एसोसिएशन के अध्यक्ष एसजीटीबी खालसा कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. जसविंदर सिंह ने कहा कि डीयू के कॉलेजों में जितनी नियुक्तियां हुई हैं उनमें यूजीसी नियमों का पालन किया गया है। यह तीन चरण की प्रक्रिया होती है। इसलिए शिक्षा मंत्री द्वारा दिया गया यह बयान न केवल आधारहीन है बल्कि हम लोग इसका खंडन करते हैं। उन्होंने शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर सवाल उठाए हैं लेकिन शिक्षक ऑनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं और छात्र व शिक्षक दोनों की उपस्थिति दर्ज है। दिल्ली सरकार एक तरफ कॉलेज स्कूल खोलना चाहती है जबकि दूसरी तरफ डीयू के कॉलेजों को पैसा नहीं दे रही है। यह उनका दोहरा रवैया दर्शाता है। हम मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग करते हैं। डीयू प्रिंसिपल संगठन के सचिव मनोज सिन्हा ने कहा कि कॉलेज राजनीति का अड्डा नहीं है। उपमुख्यमंत्री का बयान आहत करने वाला है। प्रिंसिपल प्रोफेशनल तरीके से काम कर रहे हैं। मैं उपमुख्यमंत्री को आमंत्रित करता हूं कि किसी कॉलेज मंा आकर वह छद्म शिक्षक बता दें। हमारी मांग है कि शिक्षकों, कर्मचारियों का वेतन जारी किया जाए। डीयू के भास्कराचार्य कॉलेज के प्रिंसिपल व डीयू के डीन ऑफ कॉलेजेज डॉ. बलराम पाणि का कहना है कि डीयू में छात्र और शिक्षकों का अनुपात यूजीसी के अनुसार है। कॉलेज फंड का किसी तरह से दुरुपयोग नहीं कर रहे। जो पद सेंक्शन हैं उन्हीं पदों पर नियुक्तियां हुई हैं। जीएफआर के नियम का पालन हो रहा है।
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उपमुख्यमंत्री सिसोदिया के बयान आधारहीन : डीयू प्रिंसिपल