YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आर्टिकल

दीपपर्व के दोहे 

दीपपर्व के दोहे 

दीप कर रहे वंदना, सदा रहे उजियार।
हर घर नित खुशहाल हो,दूर भगे अँधियार।।

दहरी पर आकर रमा, करती रहीं पुकार।
पर गृहस्वामी ने नहीं, किया उचित सत्कार।।

रोशन है बस्ती, नगर, आलोकित हर गाँव ।
उल्लासों के संग ही, पाता है सुख ठाँव।।

है गृहलक्ष्मी पूज्या, सम्मानित हर नार।
अंतर के आनंद से, जगमग है संसार।।

घर में महके हर खुशी, खिलते रहें अनार।
परिजन नित नेहिल रहें, दीवाली का सार।।

अंतर की अभिवंदना, खिलें नवल आयाम।
भीतर का रावण जले, रहें प्रतिष्ठित राम।।

दीवाली तो गा रही, रोशनियों के गीत।
तुम-हम मिलकर तम हरें, आओ ऐ मनमीत।।

अधरों पर निखरे हँसी, चहके जीवन-राग।
शुचिता के अस्तित्व से, हो पोषित अनुराग।।

आशाएँ पलने लगें, हो उजला विश्वास।
जीवन में हर रोज़ हो, मधुर-मदिर अहसास।।

अभिनंदन उस दीप का, जो जीता तूफान।
झंझावातों से लड़ो, तब पाओगे शान ।।
                 (लेखक-प्रो.शरद नारायण खरे )

Related Posts