नई दिल्ली । पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले ही ममता बनर्जी के खेमे में बगावत की सुगबुगाहट नज़र आ रही है। तृणमूल कांग्रेस के लोकप्रिय नेता और परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी ने बगावती तेवर दिखाते हुए नंदीग्राम दिवस पर टीएमसी से अलग रैली की। अपनी रैली में उन्होंने भारत माता की जय के नारे भी लगाए। माना जा रहा है कि चुनावी मौसम में शुभेंदु सीएम ममता को झटका दे सकते हैं। शुभेंदु अधिकारी की रैली में सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तस्वीर भी नहीं लगाई गई। पोस्टर से ममता की तस्वीर गायब होने से राज्य की सियासत में हलचल तेज़ हो गई। जिसके बाद ममता कैबिनेट की बैठक में सूबे के चार मंत्री नहीं पहुंचे, जिनमें शुभेंदु अधिकारी, रजीब बनर्जी, गौतम देब और रवींद्र घोष के नाम शामिल हैं। बगावती सुर नज़र आने के बाद अब ममता सरकार ने शुभेंदु अधिकारी के करीबी तीन नेताओं की सुरक्षा हटा ली गई है। इनके अलावा ज़िला परिषद के एक अध्यक्ष की भी सुरक्षा हटाई गई है। पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय से सवाल किया कि क्या टीएमसी के कुछ मंत्री बीजेपी ज्वाइन करने वाले हैं? उस पर विजयवर्गीय ने कहा कि बहुत से लोग आने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम क्वालिटी देखकर लेंगे लोगों। उन्होंने शुभेंदु अधिकारी के बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर कहा कि अभी इस बारे में बात नहीं हुई है, लेकिन अगर वो कहेंगे तो हम विचार करेंगे। शुभेंदु अधिकारी टीएमसी में ममता बनर्जी के बाद दूसरे सबसे लोकप्रीय नेता माने जाते हैं। उन्हें नंदीग्राम आंदोलन का आर्किटेक्ट भी माना जाता है। खास बात ये है कि शुभेंदु शुरुआती दौर से ही ममता बनर्जी के साथ जुड़े रहे हैं। शुभेंदु को पश्चिम बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा हासिल है। शुभेंदु आधिकारी के पिता और भाई भी सक्रीय राजनीति में हैं। अधिकारी परिवार का बंगाल की 50 विभानसभा सीटों पर असर माना जाता है।
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पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले टीएमसी में बगावत की सुगबुगाहट