माल एवं सेवाकर (जीएसटी) अधिकारियों की नजर उन छोटे रेस्त्रांओं और बी2सी कारोबारियों पर है जो कि ग्राहकों से कर तो वसूल करते हैं लेकिन उसे सरकारी खजाने में जमा नहीं करते हैं। ऐसे मामलों से निपटने के लिए जीएसटी अधिकारी एक प्रणाली भी तैयार करने में लगे हैं। कई उपभोक्ताओं ने एक मोबाइल एप के जरिये शिकायत दर्ज कराई है कि छोटे रेस्त्रां में उनसे जीएसटी वसूला जा रहा है लेकिन इस कर को सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया गया और न ही इन रेस्त्रांओं ने जीएसटी रिटर्न दाखिल किया। यह एप जीएसटी सुविधा प्रदाता द्वारा विकसित की गई है। इसमें कारोबारी अथवा सेवा प्रदाता के जीएसटी पहचान संख्या को स्कैन कर यह पता किया जा सकता है कि उस कारोबारी ने रिटर्न दाखिल किया है अथवा नहीं।
उल्लेखनीय है कि डेढ करोड़ रुपए तक का कारोबार करने वाले छोटे व्यवसायों को कंपोजीशन योजना लेने का विकल्प है। उन्हें प्रत्येक तिमाही रिटर्न दाखिल करनी होती है, लेकिन कंपोजीशन योजना अपनाने वाले कारोबारी ग्राहकों से जीएसटी नहीं वसूल सकते हैं। उन्हें अपने बिल अथवा चालान पर भी यह लिखना होगा कि वह कंपोजीशन योजना के तहत आते हैं इसलिये माल की आपूर्ति अथवा दी गई सेवा पर जीएसटी लेने के हकदार नहीं है। कंपोजीशन योजना के तहत आने वाले व्यापारियों, कारोबारियों और विनिर्माताओं को अपने कुल कारोबार पर मात्र एक प्रतिशत की दर से जीएसटी का भुगतान करना होता है। जबकि कंपोजीशन योजना के तहत आने वाले रेस्त्रांओं को पांच प्रतिशत और सेवा प्रदाताओं को छह प्रतिशत की दर से जीएसटी भुगतान की सुविधा दी गई है। इस राशि को वह ग्राहकों से नहीं वसूल सकते हैं।
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जीएसटी अधिकारियों की नजर छोटे कारोबारियों पर