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चुनाव के पांचवें चरण में कई सीटों पर भाजपा को कड़ी टक्कर दे रही कांग्रेस

चुनाव के पांचवें चरण में कई सीटों पर भाजपा को कड़ी टक्कर दे रही कांग्रेस

लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर 6 मई को मतदान होना है। इनमें से 2014 के चुनाव में कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली को छोड़कर भाजपा ने 12 सीटें जीती थीं। इस चरण में कांग्रेस को न केवल दो सीटों को बरकरार रखने की उम्मीद है, बल्कि वह कम से कम चार दूसरी सीटों धौरहरा, बाराबंकी, फैजाबाद और सीतापुर जैसी दूसरी सीटों पर भाजपा को कड़ी टक्कर देती नजर आ रही है। 
सन 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इन 14 में से 7 सीटों पर कब्जा जमाया था और पार्टी अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। कांग्रेस की राह में सबसे बड़ी बाधा एसपी-बीएसपी-आरएलडी का गठबंधन है, जिसके पास ज्यादातर सीटों पर बड़ी तादाद में पारंपरिक और समर्पित वोटर हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इन 14 में से 10 सीटों पर सपा या बसपा के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे। कई सीटों पर सपा-बसपा का सम्मिलित वोट शेयर भाजपा उम्मीदवारों से ज्यादा था। ऐसे में कांग्रेस ने कई सीटों पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। 
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, उनकी मां और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, जितिन प्रसाद, निर्मल खत्री और तनुज पूनिया की सीटों पर 6 मई को पांचवें चरण में मतदान है। सीतापुर में कांग्रेस ने कैसर जहां को उम्मीदवार बनाया है, जो 2014 के चुनाव में बतौर बसपा प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रही थीं। बसपा ने इस बार नकुल दुबे को सीतापुर से उम्मीदवार बनाया है। फतेहपुर में कांग्रेस ने राकेश सचान को टिकट दिया है जो 2014 के चुनाव में सपा प्रत्याशी थे। 
इस बार गठबंधन के तहत यह सीट बसपा के खाते में है और पार्टी ने सुखदेव प्रसाद पर दांव खेला है। कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने पांचवें चरण पर खास तौर से जोर लगाया है और उन्होंने उन सभी सीटों पर प्रचार किया जहां पार्टी को 2014 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। लखनऊ में वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ सपा प्रत्याशी के रूप में शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा और कांग्रेस से प्रमोद कृष्णम उम्मीदवार हैं। बाकी 13 सीटों पर भाजपा के सामने विपक्षी गठबंधन के साथ ही कांग्रेस को रोकते हुए 2014 की कामयाबी दोहराने की चुनौती है। 

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