युवाओं में तेजी से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ रहा है। पहले माना जाता था कि इस प्रकार का कैंसर 50 साल की उम्र के ऊपर के लोगों में ही होता है पर अब यह 20 साल के आसपास की उम्र वाले युवाओं में भी होने लगा है। कोलोरेक्टल कैंसर को बड़ी आंत का कैंसर भी कहते हैं। ये कैंसर बड़ी आंत (कोलोन) या रेक्टम (गैस्ट्रो इंटस्टाइनल का अंतिम भाग) में होता है। दुनियाभर में कैंसर की तेजी से फैल रही यह तीसरी किस्म है। इस कैंसर में पेट से जुड़ी कई प्रॉब्लम्स जैसे इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, बवासीर और कब्ज की समस्या होती हैं।
देर करने पर बढ़ेगी समस्या
ज्यादातर लोगों को इस कैंसर के शुरुआती संकेत के बारे में पता नहीं होता है। ऐसे में वे इसे अनदेखा करने की गलती करते हैं जबकि समय रहते इस कैंसर का इलाज शुरू होने पर इसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है।
सुपारी से मुंह के कैंसर का खतरा
सुपारी सभी जगह नही उगती लेकिन इससे सभी परिचित है| जिस जगह पानी अधिक होता है सुपारी वही उगती है| यह मन को प्रसन्न रखती है साथ ही कफ,पित आदि को दूर करने वाली होती है| दुनिया भर में लाखों लोग सुपारी का सेवन करते है| सुपारी जो दुनिया के कई क्षेत्रों खायी जाती है वो दो अलग-अलग वनस्पति का एक मिश्रण है|
एक कच्ची सुपारी दूध में घिस कर पीने से पेट सभी कृमि (कीड़े) मर जाते है|
आमतौर पर सुपारी चबाने से ज्यादा लार आती है। कुछ लोग ज्यादा लार को या तो थूक देते है या निगल लेते है। परंपरागत रूप से सुपारी मौखिक स्वच्छता, भूख और लार के उत्पादन के लिए फायदेमंद होती थी। अब वैज्ञानिकों को पता चला है कि सुपारी चबाने से मुंह के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है और यह प्रतिकूल गर्भ में बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
वहीं सुपारी के कई रूप उपयोगी भी है हालांकि ज्यादातर रूप जोखिम भरे और अस्वस्थ करते है। सुपारी एशियाई महाद्वीप के दक्षिण प्रशांत द्वीप समूह, दक्षिण पूर्व एशिया, पाकिस्तान और बांग्लादेश में एक साइकोएक्टिव ड्रग के रूप में लोकप्रिय है।
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युवाओं में बढ़ रहा कोलोरेक्टल कैंसर