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 पंजाब में पराली जलाने के मामलों में आई कमी, पर अगले हफ्ते फिर खराब होगी दिल्ली-एनसीआर की हवा

 पंजाब में पराली जलाने के मामलों में आई कमी, पर अगले हफ्ते फिर खराब होगी दिल्ली-एनसीआर की हवा

नई दिल्ली । पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार के सख्त रवैये के कारण  साल2016 के मुकाबले इस बार ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल धान की फसल काटने तक जितनी पराली जलाई गई, ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ। हालांकि बीते हफ्ते इसकी संख्या में काफी गिरावट दर्ज की गई है। पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार 16 नवंबर तक पराली जलाए जाने की संख्या 3508 से घटकर अचानक से 9 से 10 हो गई। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि सोमवार को राज्य में बारिश हुई। पश्चिमी विक्षोभ के चलते हिमाचल प्रदेश में जहां बर्फबारी हुई वहीं पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में बारिश हुई।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वैज्ञानिक वीके सोनी ने कहा, 'बादलों के चलते सैटेलाइट इमेज की क्लियरिटी में कमी हो सकती है लेकिन पराली जलाने की संख्या में गिरावट आई है।' 22 सितंबर और 16 नवंबर के बीच, अकेले पंजाब में 73,988 पराली जलाने के मामले  दर्ज किए गए। साल 2016 के बाद यह सबसे बड़ी संख्या थी। साल 2016 में राज्य में किसानों ने नवंबर के अंत तक 81,042 जगह पराली जलाई थी।
भारतीय किसान यूनियन के धाकुंडा यूनिट के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा कि 'पंजाब में खेतों की कटाई और सफाई लगभग 95 प्रतिशत हो चुकी है। धान की केवल पूसा किस्म को अभी साफ किया जाना है और यह भी जल्द ही खत्म हो जाएगा।' पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाने का इस्तेमाल जमीन को गेहूं की फसल को तैयार करने के लिए किया जाता है। जिसके चले पीएम2.5, पीएम 10 ब्लैक कार्बन हवा में घुल जाते हैं। जब हवा उत्तर और उत्तर पश्चिम की ओर बहती है तो यह दिल्ली एनसीआर के साथ-साथ गंगा के मैदानों में भी पहुंच जाते हैं। इसके चलते इन इलाकों में भारी प्रदूषण हो जाता है।
पिछले सोमवार को दिल्ली-एनसीआर बहुत ज्यादा प्रदूषण का सामना किया। इस दिन दिल्ली के कुछ हिस्सों में सुरक्षित सीमा से 12-15 गुना अधिक पीएम 2.5 का स्तर दर्ज किया। यहां पीएम 2.5 का के कुल तत्वों का 38 फीसदी पराली का हिस्सा था। पीएम2.5 इंसान के बाल से 30 फीसदी छोटा होता है और फेफड़ों के लिए काफी नुकसान दायक हो सकता है। पटाखों और स्थानीय प्रदूषण के बाद भी हवाओं और बारिश के चलते वीकेंड में दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। मंगलवार को शहर का एक्यूआई 'मध्यम' श्रेणी में था। हालांकि केंद्र  के सफर (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) एजेंसी ने मंगलवार को कहा कि हवा की गुणवत्ता बुधवार तक धीरे-धीरे खराब श्रेणी में आने की संभावना है और सप्ताह के अंत तक बहुत खराब श्रेणी में आ सकती है।
 

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