नई दिल्ली । बिहार में नीतीश सरकार के गठन के तुरंत बाद मंत्री बनाए गए मेवालाल चौधरी को लेकर विवाद गरमा गया उन्हें शिक्षा जैसा अहम मंत्रालय मिला है। मेवालाल चौधरी पर असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में धांधली का आरोप है। इस बाबत जब उनसे पूछा गया तो वह कैमरे से बचते नजर आए। दरअसल, जेडीयू नेता मेवालाल चौधरी के सबौर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति रहते सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार का मामला साने आया था। इस मामले में इन पर एफआईआर भी दर्ज हुई थी और पार्टी ने इन्हें निलंबित भी किया था। वो 2010-15 के बीच में सबौर कृषि विवि में वाइस चांसलर थे।
मेवालाल चौधरी पर जूनियर वैज्ञानिक की बहाली में धांधली और भवन निर्माण में घपला का आरोप है। निगरानी ब्यूरो ने इस मामले की जांच की थी। मेवालाल चौधरी पर स्पेशल विजिलेंस ने 2017 में केस दर्ज किया था और भागलपुर के सबौर थाने में भी 2017 में केस दर्ज हुआ था। अभी भी जेडीयू विधायक मेवालाल चौधरी के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 46,7 468, 471 और 120 बी के तहत भ्रष्टाचार के मुकदमा दर्ज है, इनके खिलाफ अभी भागलपुर के एडीजे-1 की अदालत में मामला लंबित है। जेडीयू कोटे से मंत्री बनने वाले मेवालाल चौधरी को पहली बार कैबिनेट में शामिल किया है। बिहार की तारापुर विधानसभा क्षेत्र से जेडीयू के टिकट पर दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। मेवालाल चौधरी 2015 में पहली बार विधायक बने थे जबकि इससे पहले तक वो शिक्षक रहे हैं। वो कोइरी समुदाय से आते हैं।
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भ्रष्टाचार के आरोपी मेवालाल चौधरी को नीतीश ने बनाया शिक्षा मंत्री, विवाद गहराया