यह सवाल आज हर अमेरिका के दिल-दिमाग पर छाया हुआ है, हाल ही का चुनाव हार चुके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं है और निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन आगामी 20 जनवरी को शपथ लेने की तैयारी कर रहे है, ट्रम्प अपने समर्थकों के माध्यम से पूरे अमेरिकावासियों को यह संदेश देने में व्यस्त है कि चुनाव में व्यापक स्तर पर धांधलिया हुई है और बाइडन बैइमानी से चुनाव जीते है, जबकि बाइडन का कहना है कि चुनाव बिल्कुल निःश्पक्ष हुए है और ट्रम्प को अमेरिका के मतदाताओं ने ठुकरा दिया है, अब सत्ता हस्तांतरण में ट्रम्प के इस अडं़गे से अमेरिका में राजनीतिक संकट और भ्रम बढ़ गया है तथा ताजे जनादेश को पलटने की आशंका बढ़ गई है। इधर एक ओर जहां ट्रम्प अदालत का दरवाजा खटखटा चुके है वहीं बाइडन पर भी ट्रम्प के खिलाफ मुकदमा ठोकने का दबाव बढ़ गया है।
वास्तव में ट्रम्प चाहते है कि वे भी सोवियत संघ के राष्ट्रपति पुतीन की तरह ही जीवनभर राष्ट्रपति बने रहे, फिर ट्रम्प अपने हाथों से सत्ता के फिसल जाने के बाद नए राष्ट्रपति द्वारा उनके (ट्रम्प के) कार्यकाल के घोटालों और स्वयं के उद्योगों व कर भुगतान में हुई अनियमितताओं की जांच की संभावना से भी डरे-सहमें है। क्योंकि बाइडन की पार्टी पहले ही ट्रम्प के टेक्सरे कार्ड की जांच कराने की घोषणा कर चुकी है, इसलिए ट्रम्प नहीं चाहते कि उनके राजनीतिक जीवन की शेष बची सभी संभावनाएं खत्म हो जाए, वे अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए पार्टी से बगावत कर अपनी नई पार्टी बनाने तक की भी तैयारी कर चुके है, किंतु उन्होंने तय कर लिया है कि वे राष्ट्रपति का पद किसी भी हालत में नहीं छोड़ेगें।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि ट्रम्प जो सत्ता नही छोड़ने का कदम उठा रहे है, यह इस देश में पहली बार नहीं है, इससे पहले आज से एक सौ बीस साल पहले सन् 1800 में तत्कालीन राष्ट्रपति जाॅन एडम्स ने भी चुनाव हारने के बाद ‘व्हाईट हाउस’ छोडने से स्पष्ट इंकार कर दिया था और उसके बाद राष्ट्रपति के स्टाॅफ ने जाॅन को राष्ट्रपति मानने और उनके आदेशों के पालन से इंकार कर दिया था जाॅन एडम्स अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति थे, तब उनके प्रतिद्वन्दी थाॅमस जेफरसन ने चुनाव जीता था। इसके बाद जाॅन एडम्स ने न सिर्फ राष्ट्रपति का कार्यभार थाॅमस को सौंपने से इंकार किया था बल्कि वे थाॅमस के शपथग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे, आज के ट्रम्प की तरह जाॅन एडम्स ने भी सत्ता नहीं छोडने की जिद पकड़ ली थी, किंतु जब उनके अपने स्टाॅफ ने उन्हें राष्ट्रपति मानने से इंकार कर दिया था और उनके आदेशों के पालन से भी इंकार कर दिया था, तब एडम्स ने अपने आपको शार्मिंदा पाया, यही नहीं राष्ट्रपति की निजी सेना व खुफिया एजेन्सी ने भी उनके आदेश मानने से इंकार कर दिया और उन्हें नजर अंदाज करना शुरू कर दिया था, अंततः खुद को अपमानित देख जाॅन एडम्स ने 4 मार्च 1801 को थाॅमस को अपना कार्यभार सौंप दिया। अब एक सौ बीस साल बाद ट्रम्प भी एडम्स की राह पर चल रहे है और एक सौ बीस साल पुराने इतिहास को दोहरा रहे है। अब संभावना व्यक्त की जा रही है कि अगर ट्रम्प ने भी व्हाईट हाउस नहीं छोड़ा तो व्हाईट हाउस के कर्मचाारी अपने राष्ट्रपति के हिसाब से काम करना शुरू कर देंगे और बीस जनवरी को ट्रम्प का साज-ओ-सामान व्हाईट हाउस से बाहर कर देगें और नए राष्ट्रपति बाइडन का सामान अंदर रख लेंगे और फिर ट्रम्प की पत्नी मेलानिया व्हाईट हाउस की ‘सुपर बाॅस’ नही रह पाएगी और बाइडन की पत्नी डाॅ. जिल बाइडन राष्ट्रपति भवन की नई ‘सुपर बाॅस’ बन जाएगी, फिलहाल स्टाॅफ ने यही तय किया है।
यह भी उल्लेखनीय है कि ट्रम्प की अपनी पार्टी ही ट्रम्प के इस कदम से खुश नहीं है, पूर्व राष्ट्रपति जार्ज बुश और बराक ओबाम भी ट्रम्प के इस कृत्य के समर्थक नही है, इसीलिए ट्रम्प ने अपनी पार्टी छोड़ने और नई पार्टी बनाने का मन बना लिया है एक और जहां ट्रम्प अपनी राजनीतिक उलझन में उलझे है वहीं दूसरी ओर उनके परिवार में भी कलह बढ़ गया है और उनकी पत्नी मेलानिया ने ट्रम्प को तलाक देने के संकेत दे दिए है।
फिर ट्रम्प की नाराजी सोवियत रूस के प्रति भी काफी बढ़ गई है, क्योंकि रूस के राष्ट्रपति पुतीन ने 2016 जैसा ट्रम्प को इस बार चुनाव जीतने में सहयोग नही किया, इसीलिए उन्होंने राष्ट्रपति पद पर रहते सोवियत रूस के राष्ट्रपति और उनकी कम्युनिस्ट पार्टी को मजा चखाने की घोषणा की है। वे न सिर्फ सोवियत अधिकारियों के वीजा ब्लाॅक कर देगें, बल्कि कम्युनिस्ट पार्टी की मान्यता भी खत्म कर देगें।
जो भी हो, इन सब स्थितियों पर अमेरिका फिलहाल तो मौन दर्शक बना हुआ है, किंतु यदि ट्रम्प के समर्थकों ने कुछ गड़बड़ करके सत्ता बरकरार रखने की कोशिशें लगातार जारी रखी तो अमेरिका में कुछ ‘अजूबा’ भी हो सकता है।
(लेखक- ओमप्रकाश मेहता )
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