सिडनी । भारतीय टीम के साथ सीरीज के ठीक पहले ऑस्ट्रेलियाई कोच सहित कई पूर्व खिलाड़ी भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली की जमकर तारीफ करते नजर आ रहे हैं। ऑस्ट्रेलियाई कोच जस्टिन लैंगर के साथ ही पूर्व कप्तान स्टीव वॉ और मार्क टेलर तक ने भरतीय कप्तान की जमकर तारीफ की है और उन्हें दुनिया का सबसे बेहतर बल्लेबाज बताया है। विराट पहले टेस्ट के बाद निजी कारणों से स्वदेश लौट जाएंगे। ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और दिग्गजों की रणनीति भारतीय टीम पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की है। ऑस्ट्रेलियाई दिग्गजों ने यह दिखाने का प्रयास किया है कि विराट के नहीं होने से भारतीय टीम का प्रदर्शन प्रभावित होगा और वह पहले जैसी नहीं रहेगी। यह पहला मौका नहीं है कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर अपने विरोधी कप्तान या टीम की बात करते दिख रहे हैं। दरअसल, वह अक्सर अपनी टीम के किसी भी सीरीज या दौरे से पहले ऐसा करते हुए आसानी से करते नजर आते हैं। ऐसा करना उनका गेम प्लान का हिस्सा होता है।
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर सीरीज के शुरुआत में बड़े खिलाड़ियों की तारीफ करते हैं पर जैसे ही वह खिलाड़ी उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाता तब यही लोग आलोचना करने लगते है जिससे वह खिलाड़ी दबाव में आ जाये। मेजबान ऑस्ट्रेलियाई इस प्रकर के अपने बयानों से खिलाड़ी पर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं और कई बार वह कामयाब भी होते हैं। साथ ही वह यह भी दिखाने कोशिश करते हैं कि टीम में सिर्फ एक या दो खिलाड़ी ही हैं, जो मुकाबला कर सकते हैं।। मार्क टेलर ने कहा था कोहली खेल के सबसे मजबूत शख्स हैं और कहा कि यह खिताब उनके ऊपर एकदम सही है। मुझे लगता है कि वह इस जिम्मेदारी को सम्मान देते हैं। जब आप उन्हें खेलते हुए देखेंगे तो वह काफी हद तक खुद में खोए हुए नजर आते हैं। मैंने जब भी उनसे बात ही तो मैंने पाया है कि वह खेल का, जो इस खेल को खेल रहे हैं या खेल चुके हैं उसका काफी सम्मान करते हैं। दूसरी ओर, लैंगर ने भी कोहली की तारीफ की थी और कहा था कि उन्होंने जितने भी खिलाड़ी देखें हैं उनमें कोहली सर्वश्रेष्ठ हैं।
अक्सर किसी सीरीज से पहले ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर आक्रामक क्रिकेट और स्लेजिंग की बात करते हैं, लेकिन जब से दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में बॉल टेम्परिंग करने की वजह से दो खिलाड़ियों को प्रतिबंध झेलना पड़ा है, तब से वह इस पर बात नहीं करते हैं।
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गेम प्लान के तहत विराट की तारीफ कर रहे ऑस्ट्रेलियाई भारतीय टीम पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का प्रयास