मुंबई, । आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मुंबई में तक़रीबन हर रोज एक युवा की कोरोना संक्रमण से मौत हो रही है. ४० साल से कम उम्र के 513 युवा अब तक जान गंवा चुके हैं. एक्सपर्ट मानते हैं कि इसके पीछे सबसे बड़ा कारण लापरवाही है क्योंकि 40 से कम उम्र के मरीज़ों के बचने की उम्मीद 90 प्रतिशत से ज़्यादा होती है बशर्ते वो समय पर जांच और इलाज कराएं. मुंबई में 40 से कम उम्र वाले मरीज़ की कोरोना से मौतों की संख्या 500 पार हो चुकी है. मुंबई में हुई कुल मौतों में करीब 5 प्रतिशत मौतें युवाओं की हैं. मुंबई मनपा के डैशबोर्ड के अनुसार 16 नवम्बर तक 40 से कम उम्र के 513 मरीज़ों की मौत हुई है और इनमें सबसे ज़्यादा हैं 30 से उम्र के मरीज़. 30 से 39 साल के 346 युवाओं की कोविड से जान गई है. दो सितम्बर का डैशबोर्ड देखें तो पता चलता है कि क़रीब दो महीनों में 67 युवाओं की कोविड से मौत हुई है. यानी मुंबई में तक़रीबन हर रोज एक युवा कोरोना से अपनी जान गंवा रहा है. इसकी वजह युवाओं द्वारा बरती जा रही लापरवाही को मुख्य कारण माना जा रहा है. एक्सपर्ट बताते हैं कि वे दवा नहीं लेते हैं, डॉक्टर के सम्पर्क में नहीं रहते उनको लगता है हम ऐसे ही ठीक हो जाएंगे. वे समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं, उनके मन में रहता है हम यंग हैं, हमारी इम्युनिटी अच्छी है, हमारा कुछ बिगड़ेगा नहीं. दूसरा हफ़्ता बहुत ज़रूरी होता है जब तुरंत ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है. जब तक आप भागते हो तब तक आप बहुत देर कर चुके होते हो. ये सबसे बड़ा कारण है युवा मरीज़ों की मौत का. इसके अलावा मोटापा, डायबिटीज़, हार्ट-किडनी की दिक़्क़त वाले युवा मरीज़ों को ज़्यादा ख़तरा है. बाकी बीमारियों के रिस्क फ़ैक्टर वाले युवा कोविड मरीज़ अगर समय पर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचें तो बचने की उम्मीद काफ़ी ज़्यादा है.
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मुंबई में हर रोज कोरोना से हो रही एक युवा की मौत - 40 से कम उम्र के लोगों की संख्या अधिक