ग़म है, पीड़ा, है व्यथा, पर है सुख भी साथ।
जो जैसा चिंतन करे, आता वैसा हाथ।।
खुशियाँ मिलती हैं बहुत, तकलीफ़ें भी संग।
जीवन के दो रूप हैं, होते हैं दो रंग।।
वैसे जीवन को कठिन, माने है इनसान।
कभी-कभी यह सत्य है, पर जीवन वरदान ।।
जीवन का निर्माण कर, मानव बने महान ।
तप जाए जब आग में, तब मानव भगवान ।।
जीवन के गतिचक्र को ,समझ सका है कौन।
जीवन को जीते सभी, पर रहकर के मौन।।
जीवन में उत्थान है, भरा हुआ संघर्ष।
जो जूझें वे कर विजय, पा जाते हैं हर्ष।।
दर्शन कहता और कुछ, जग कहता कुछ और।
जीवन के संदर्भ पर, करना है मिल गौर।।
जीवन मंगलगान है, जीवन है यशगान।
तो है सँग में वेदना, घुटते नित अरमान।।
जीवन मिलना नहिं सरल, समझो उसका मोल।
करो हस्तगत आस को, बन जाओ अनमोल ।।
(लेखक-प्रो.शरद नारायण खरे )