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भारतीय चाय कारोबारियों के लिए वरदान है केन्या का सूखा

भारतीय चाय कारोबारियों के लिए वरदान है केन्या का सूखा

केन्या में आए सूखे से वहां का टी प्रॉडक्शन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हालांकि यह भारतीय सेकेंड फ्लश टी के लिए वरदान बना है, जो अभी मार्केट में आना शुरू हुई है। इंडस्ट्री के एग्जिक्यूटिव्स ने बताया कि केन्याई टी की कीमतों में 15 प्रतिशत की तेजी आई है, जिसके कारण मार्केट में भारतीय सेकेंड फ्लश टी की मांग बढ़ सकती है। ग्लोबल मार्केट में केन्याई सीटीसी टी के कमी के चलते इजिप्ट, पाकिस्तान, रूस और अफगानिस्तान जैसे देशों में भारतीय टी के एक्सपोर्ट में भी बढ़ोतरी की संभावना है। मैकलॉयड रसेल इंडिया लिमिटेड के डायरेक्टर और इंडियन टी एसोसिएशन के पू्र्व चेयरमैन आजम मुनीम ने बताया, पिछले साल केन्या में 49.23 लाख किलो का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था, जिससे ग्लोबल मार्केट में टी की कीमतों में गिरावट देखने को मिली थी। भारतीय चाय पर भी इसका असर हुआ था। हालांकि इस बार केन्या में इसका उत्पादन काफी कम होगा। इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केन्या में लंबे समय से सूखा पड़ा हुआ है, जिससे वहां की लीफ-प्रोसेसिंग फैक्टरियों में प्रॉडक्शन ठप है। यहां के चाय बगान के मालिकों ने अपने आधे से ज्यादा मजदूरों को या तो छुट्टी दे दी है या उन्हें दूसरे काम में लगा दिया है। मौसम विभाग के मुताबिक अप्रैल में बारिश के पीक पर पहुंचने की संभावना थी, लेकिन देश के अधिकांश हिस्सों में अभी भी ज्यादा तापमान के चलते सूखा है। महीने के बाकी बचे दिनों में भी सूखे की यह स्थिति जारी रहने की संभावना है।
आजम ने बताया, केन्या में मई-जून की अवधि के दौरान सर्दियां होती हैं और जुलाई में वहां कोई फसल नहीं होती है। वहीं भारतीय सेकेंड फ्लश टी इसी समय भारी मात्रा में बाजार में आती है। यह हमारे लिए एक मौका हो सकता है और हमारा एक्सपोर्ट भी इससे बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि कम उत्पादन के चलते केन्याई टी की कीमतें अगले 15 दिनों में 3 डॉलर प्रति किलो तक पहुंच सकती है। फिलहाल केन्याई टी 2.3-2.4 डॉलर प्रति किलो के दाम पर नीलाम हो रही है। भारत ने 2018 में 24.91 लाख किलो टी का एक्सपोर्ट किया था, जो 2017 के 25.19 लाख किलो के मुकाबले 1.1 प्रतिशत कम था। वहीं अगर 2018 के पहले दो महीने की बात की जाए तो 2017 के मुकाबले भारतीय टी के एक्सपोर्ट में 6.98 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी। हालांकि कीमतों के मामले में यह 2017 के मुकाबले 8.81 प्रतिशत ज्यादा था।

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