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 बिहार के शिक्षा मंत्री के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने मोदी और नीतीश से पूछा- असली कसूरवार कौन! - भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद चौधरी को मंत्री बनाए जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था

 बिहार के शिक्षा मंत्री के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने मोदी और नीतीश से पूछा- असली कसूरवार कौन! - भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद चौधरी को मंत्री बनाए जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था

नई दिल्ली । कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ. मेवालाल चौधरी के इस्तीफा देने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या असली कसूर उनका नहीं है, जिन्होंने चौधरी को मंत्री बनाया था। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया। तीन दिन में ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे मंत्री का इस्तीफ़ा। क्या ये लोग चलाएंगे बिहार की सरकार? क्या ये 12 करोड़ बिहारियों से धोखा नहीं? क्या यही है सुशासन? साथ ही उन्होंने सवाल किया कि क्या असली कसूरवार पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार नहीं हैं जिन्होंने इन्हें 3 दिन पहले मंत्री बनाया? उल्लेखनीय है कि बिहार के शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद चौधरी को मंत्री बनाए जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था। नीतीश कुमार कैबिनेट में एक मंत्री के तौर पर शपथ लेने के तीन दिन बाद ही चौधरी ने इस्तीफा दे दिया है। जबकि नीतीश कुमार की सलाह पर राज्‍यपाल ने अशोक चौधरी को शिक्षा मंत्री का अतिरिक्‍त प्रभार दिया है।
विवादों में घिरे शिक्षा मंत्री डॉ. मेवालाल चौधरी ने पदभार ग्रहण के दौरान कहा कि जो हमारे खिलाफ बोल रहे हैं और यह कह रहे है कि मेरी पत्नी की मौत के लिए मैं जिम्मेवार हूं, उनके खिलाफ आज ही 50 करोड़ की मानहानि का केस करूंगा और आज ही उनके पास लीगल नोटिस जाएगा, लेकिन शाम होते होते उन्‍होंने इस्‍तीफा देकर सभी को चौंका दिया है1 आपको बता दें कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के कुलपति रहते समय मेवालाल चौधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे और उन पर एफआईआर भी दर्ज हुई थी. इसके बाद जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से उन्हें निलंबित कर दिया गया था। गौरतलब है कि तारापुर के नवनिर्वाचित जेडीयू विधायक डॉ. मेवालाल चौधरी को पहली बार कैबिनेट में शामिल किया गया है. राजनीति में आने से पहले वर्ष 2015 तक वह भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे। वर्ष 2015 में सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए। इसके बाद जदयू से टिकट लेकर तारापुर से चुनाव लड़े और जीत गए, लेकिन चुनाव जीतने के बाद डॉ. चौधरी नियुक्ति घोटाले में आरोपित किए गए। कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले का मामला सबौर थाने में वर्ष 2017 में दर्ज किया गया था। इस मामले में विधायक ने कोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली थी।
 

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