पटना । बिहार की राजनीति में एक नया इतिहास रचते हुए नीतीश कुमार ने दो दशक में सातवीं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की है। इस बार नीतीश के अलावा 14 अन्य लोगों ने मंत्री पद की शपथ ली है, जिसमें भाजपा विधानमंडल दल के नेता तारकिशोर प्रसाद और उपनेता रेणु देवी के अलावा विजय कुमार चौधरी, अशोक चौधरी, मंगल पांडे आदि शामिल हैं। हालांकि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ही नीतीश कुमार विरोधी दलों के निशाने पर हैं। तेजस्वी यादव और चिराग पासवान के बाद कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने बिहार की नई सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर कहा कि नई सरकार में नीतीश कुमार की कुछ नहीं चल रही है और सभी काम बीजेपी कर रही है। साथ ही कहा कि नई सरकार में उपमुख्यमंत्री और कैबिनेट के मंत्री नीतीश कुमार की मर्ज़ी के नहीं हैं। तारिक अनवर ने नीतीश सरकार के भविष्य पर उठाए सवाल हुए कहा कि यह कठपुतली सरकार है और यह कब तक चलेगी कहना मुश्किल है।
इस बार नीतीश मंत्रिमंडल का चेहरा पूरी तरह बदल गया। पटना साहिब से बीजेपी की ओर से जीतकर आए नंदकिशोर यादव इस बार सदन का संचालन करेंगे। वो विधानसभा अध्यक्ष का पद संभालेंगे. एनडीए की इस सरकार में दो डिप्टी सीएम होंगे। नीतीश समेत कुल 15 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। इस बार मंत्रिमंडल में मंत्री पद के रूप में शपथ लेने वाले प्रमुख चेहरों में कटिहार से चौथी बार विधायक बने तारकिशोर प्रसाद, बेतिया से चौथी बार चुनाव जीतीं रेणु देवी, सरायरंजन से जीतकर आए विजय चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद यादव, अशोक चौधरी, तारापुर सीट से दूसरी बार लगातार जीतकर आए मेवालाल चौधरी, फुलपरास से पहली बार जीतकर आई जेडीयू की विधायक शीला कुमारी, विकासशील इनसान पार्टी (वीआईपी) के मुकेश सहनी, पिछली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे बीजेपी के मंगल पांडेय, आरा से चौथी बार विधायक चुने गए अमरेंद्र प्रताप सिंह और राजनगर से चुनाव जीतकर आए रामप्रीत पासवान हैं। इस बार भाजपा से सात, जेडीयू से पांच, हम और वीआईपी से एक-एक मंत्री बना है।
नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री पद पर सर्वाधिक लंबे समय तक रहने वाले श्रीकृष्ण सिंह के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ने की ओर बढ़ रहे हैं जिन्होंने आजादी से पहले से लेकर 1961 में अपने निधन तक इस पद पर अपनी सेवाएं दी थीं। कुमार ने सबसे पहले 2000 में प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन बहुमत नहीं जुटा पाने के कारण उनकी सरकार सप्ताह भर चली और उन्हें केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री के रूप में वापसी करनी पड़ी थी। पांच साल बाद वह जेडीयू-भाजपा गठबंधन की शानदार जीत के साथ सत्ता में लौटे और 2010 में गठबंधन के भारी जीत दर्ज करने के बाद मुख्यमंत्री का सेहरा एक बार फिर से नीतीश कुमार के सिर पर बांधा गया। इसके बाद मई 2014 में लोकसभा चुनाव में जेडीयू की पराजय की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया, लेकिन जीतन राम मांझी के बगावती तेवरों के कारण उन्हें फरवरी 2015 में फिर से कमान संभालनी पड़ी थी।
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कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने कहा, यह कठपुतली सरकार है, कब तक चलेगी, गारंटी नहीं - नई सरकार में नीतीश की नहीं चल रही, सभी काम बीजेपी कर रही है