मुंबई, । महाराष्ट्र में बिजली वितरण कंपनी महावितरण के ग्राहकों पर 50 हजार करोड़ रुपये के बिजली बिल के बकाये को लेकर सियासत तेज हो गई है. कोरोना काल में आम जनता को जो बढे हुए बिजली के बिल भेजे गए उसमें कोई राहत नहीं मिलने के संकेतों के बीच भाजपा ने राज्य सरकार पर राजनीतिक हमले तेज कर दिए हैं. वहीं सरकार ने तत्कालीन भाजपा सरकार के दौरान बकाया भुगतान 36 हजार करोड़ रुपये पहुंचने के कारणों की जांच के आदेश दे दिए हैं. दरअसल मौजूदा बकाया कुल 51 हज़ार करोड़ रुपयों का है. लॉकडाउन के समय महाराष्ट्र के लोगों को बिजली के महंगे बिल मिले थे जिससे लोग नाराज़ हैं. राज्य सरकार ने पहले राहत देने की बात कही थी, लेकिन बाद में राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने कह दिया कि राहत देना संभव नहीं है. सरकार के इस निर्णय पर विपक्ष भाजपा ने सवाल उठाया तो महाराष्ट्र सरकार ने तत्कालीन भाजपा सरकार के कार्यकाल में बकाया 36 हज़ार करोड़ के बिल के भुगतान के लिए जाँच के आदेश दिए हैं. राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने कहा कि पिछले सरकार के 5 साल के कार्यकाल में बिजली विभाग की ओर से किस प्रकार का खर्च हुआ, किस प्रकार का नुकसान हुआ, इसका लेखा-जोखा की जांच होनी चाहिए, ताकि बार बार जो हमें कहा जाता है कि हमें कुछ आता नहीं है, सारे ज्ञानी वहां पर हैं तो हमें हमारा ज्ञान जानने के लिए यह आदेश देना पड़ेगा. नितिन राउत के मुताबिक, 2014 से पहले महावितरण में कुल 14,154.50 करोड़ रुपयों का भुगतान बकाया था. लेकिन 2014 से 2019 के समय कुल 36,992 करोड़ रुपयों के बिजली के बिल का भुगतान नहीं हुआ. महाराष्ट्र में अब यह राशि 51,146.50 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
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महाराष्ट्र में बिजली बिल बकाये को लेकर सियासत तेज़ - राज्य सरकार ने दिए जांच के आदेश