आस्था एवं विश्वास से जुड़ा चर्चित एवं प्रसिद्ध धार्मिक छठ व्रत का शुभारम्भ श्रद्धा के साथ इस वर्ष नवम्बर माह में 18 को सिर धोने, 19 को खरना एवं 20 नवम्बर की संध्याकालीन पूजन के साथ शुरु होकर 21 नवम्बर को प्रातःकालीन पूजन के उपरान्त समाप्त हो जायेगा। विश्व के सभी लोग प्रायः उगते सूर्य की ही पूजा करते है, परन्तु आस्था एवं विश्वास से जुडे इस छठ व्रत के अवसर पर उगते एवं डूबते सूर्य की भी पूजा की जाती है। प्राचीन काल से ही इस व्रत का प्रावधान चला आ रहा हेै। इस व्रत में सूर्य की पूजा की जाती है। व्रत करने वाला बिना अन्न जल ग्रहण किये इस व्रत को पूरा करता है। इस व्रत में प्रसाद रुप में हर प्रकार के मौसमी फल, मीठे पाकवान, सहित अन्य प्रकार के श्रद्धानुसार सामग्री शामिल की जाती है। यह पूजा नदी, पोखरा जहां जल की मात्रा प्रचूर होती है, के किनारे की जाती है। इस व्रत में जल में खड़े होकर ही उगते एवं डूबते सूर्य को जल ,दूध के साथ अघ्र्य दिया जाता है।
इस वर्ष कोरोना काल के चलते इस व्रत को विधिवत से करने की परम्परा में थोड़ा व्यवधान आने की संभावना बनी हुई है जहां इस संक्रामक बीमारी से वचाव हेतु सोशल डिस्टेंसी के नियमों का पालन करना भी अनिवार्य है। इस संक्रामक बीमारी के बढ़ते चरण एवं उपयुक्त रोकथाम की उचित व्यवस्था नहीं होने के चलते संबंधित राज्य सरकारों ने इस बीमारी के फैलने से रोकने के लिये पूर्व की भाॅति पूजा के घाट बनाये जाने की व्यवस्था को टाल दिया है जिससे इस अवसर पर एक साथ होने वाली भीड़ को रोका जा सके। आस्था एवं िवश्वास से जुड़े सुख, शांति व समृद्धि के प्रतिक इस व्रत को करने वाले व्रती परिवार के सामने इस तरह की दिक्कतें आवश्य आ सकती है जिसे वे इस व्रत को पूर्व की भाूति नहीं कर सके फिर भी इस व्रत को करने वालों में उत्साह, श्रद्धा एवं िवश्वास कम नहीं हुआ है। उन्हें पूरा विश्वास है कि इस व्रत के उपरान्त इस भयानक बीमारी से शीघ्र ही सभी को मुक्ति मिलेगी।
इसी आश एवं विश्वास के साथ सदियों से देश विदेश में मनाया जाने वाला छठ पर्व की तैयारी का शुभारम्भ हो चुका है। हां इस वर्ष कोरोना काल के चलते छठ व्रत करने वालों से लदी रेल नजर नहीं आती। नदी तलाब पर पूर्व जैसी भीड़ नजर आ सकती पर जहां भी इस व्रत को करने वाले है वे वर्तमान परिवेश में हीं इस व्रत को करने की तैयारी करते नजर आ रहे है। इस व्रत में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है जहां प्रसाद बाजार से केवल फल फूल ही आता है जिसे अच्छी तरह से शुद्ध जल से धोया जाता है, शेष प्रसाद घर मेही तैयार किया जाता है जिसे लेने से किसी प्रकार का खतरा नहीं है फिर भी कोरोना के भय के चलते पूर्व की भाॅति इस प्रसाद को ग्रहण करने वालों की संख्या में कमी अवश्य हो सकती। हर त्योहार को फीका करने वाला कोरोना इस व्रत को भी प्रभावित करेगा । इस तरह आस्था एवं विश्वास से जुड़े इस महान छठ व्रत पर भी कोरोना की छाया नजर आ रही है जहां व्रत करने परिवारों की संख्या पहले से कम नजर आ रही है। कई लोग चाहकर भी कोरोना के भय से इस व्रत को करने का साहस नहीं जुटा पा रहे है पर उनके मन में इस व्रत के प्रति कहीं श्रद्धा कम नहीं हुई है। उन्हें इंतजार है अगली कोरोना मुक्त सुबह का जहां वे पहले से भी ज्यादा उत्साह के साथ इस महान छठ पर्व को मना सकें।
(लेखक- - डॉ. भरत मिश्र प्राची)
आर्टिकल
छठ व्रत पर भी कोरोना की छाया!