नई दिल्ली । कोविड 19 पॉजिटिव माओं के बच्चों को कोरोना के गंभीर लक्षण होने की आशंका बेहद कम है। हाल ही में आई एक स्टडी से यह भी पता चला है कि केवल तीन प्रतिशत मामलों में ही कोरोना वायरस फीटस तक पहुंचता है। ताजा स्टडी के अनुसार, प्रेग्नेंसी के दौरान कोरोना वायरस का शिकार हुईं 95 फीसदी महिलाओं में गंभीर परिणाम नहीं देखे गए हैं। स्टडी की लेखक एमिली अधिकारी का कहना है 'हमारी प्राप्तियों से पता चला है कि जन्म देने वाली लगभग 5 प्रतिशत महिलाएं गंभीर बीमारी का शिकार हुईं।' एमिली ने कहा, 'बिना लक्षणों और हल्के लक्षणों वाली ज्यादातर महिलाओं को यह जानकार शांति मिलेगी कि उनके बच्चे के वायरस की चपेट में आने की आशंका नहीं है।' उन्होंने कहा, 'हमारा लक्ष्य घर पर बीमारी से उबर रही गर्भवती महिलाओं के लिए सबूत आधारित दिशानिर्देश तैयार करना है।' स्टडी से यह पता चला है कि डायबिटीज गंभीर बीमारी के जोखिम को बढ़ा सकती है।
एक अन्य ब्रिटिश स्टडी से पता चला है कि जो लोग पहले कोविड 19 से जूझ चुके हैं, उन्हें पहले इंफेक्शन के बाद 6 महीने तक दोबारा संक्रमण होने के आसार कम हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि स्टडी से मिली जानकारियों से कोविड 19 का शिकार हो चुके दुनियाभर के 5 करोड़ से ज्यादा लोगों राहत मिलने की उम्मीद है। ऑक्सफोर्ड के नफील्ड डिपार्टमेंट ऑफ पॉपुलेशन हेल्थ के प्रोफेसर डेविड आयर ने कहा, 'यह बहुत अच्छी खबर है क्योंकि हम इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि थोड़े समय के लिए ही सही लोगों को कोविड 19 दोबारा नहीं होगा।' डॉक्टर डेविड स्टडी के सह लेखक भी हैं। स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने मार्च से लेकर अगस्त तक 3374 महिलाओं को शामिल किया। इनमें से 252 महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान कोविड 19 का शिकार हो गईं थीं। इन 252 महिलाओं में से 95 प्रतिशत महिलाएं एसिम्प्टोमैटिक थीं या बहुत ही हल्के लक्षणों का सामना कर रही थीं। केवल 6 महिलाएं ही ऐसी थीं, जिन्हें गंभीर निमोनिया का सामना करना पड़ा।
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कोरोना: गर्भवती से बच्चे को बीमारी का खतरा कम -एक ताजा अध्ययन से पता चला