लखनऊ । उप्र की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अंततः लव जिहाद से जुड़े अध्यादेश के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी। राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून अस्तित्व में आ जायेगा। अध्यादेश के अमलीजामा पहनने के बाद दो अलग-अलग धर्म के लोग आपस में शादी कर सकते हैं लेकिन नए कानून में व्यवस्था अवैध रुप से धर्मांतरण को लेकर है। इसमें 3 साल से लेकर 10 साल की सजा का प्रावधान है। सरकार का तर्क है कि नए कानून के जरिए अवैध रुप से धर्मांतरण कर शादी करने पर रोक लगेगी। देश में योगी सरकार संभवतः पहली सरकार होगी जो लव जिहाद के खिलाफ बकायदा कड़ा कानून लेकर आयी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार शाम को यहां राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक हुई। बैठक में लव जिहाद पर अध्यादेश के प्रस्ताव को हरी झण्डी दे दी गयी। बैठक के बाद काबीना मंत्री एवं राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश कैबिनेट ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’ लेकर आई है। जो उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था सामान्य रखने के लिए और महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए जरूरी है। उल्लेखनीय है कि गृह विभाग ने पूर्व में इसका मसौदा तैयार किया था। उत्तर प्रदेश में लव जिहाद को रोकने के लिए प्रदेश के गृह विभाग ने न्याय व विधि विभाग को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया था। कानून बनने के बाद गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा और 5 साल की कठोरतम सजा होगी। कानपुर, बागपत, मेरठ समेत यूपी के कई शहरों से लगातार लव जिहाद की घटनाएं सामने आई है जिसके बाद मुख्यमंत्री ने गृह विभाग से समीक्षा रिपोर्ट मांगी थी। यूपी के लॉ कमीशन चीफ जस्टिस आदित्य नाथ मित्तल ने बताया कि आयोग ने 2019 में ही ड्राफ्ट सौंप दिया था। लेकिन तब से इसमें तीन बार फेरबदल किया गया। ड्राफ्ट में इसके साथ ही शादी के लिए गलत नीयत से धर्म परिवर्तन या धर्म परिवर्तन के लिए की जा रही शादियां भी नए नियम में धर्मांतरण कानून के तहत आएंगी। बाद में इसे परीक्षण के लिए विधायी विभाग को भेजा गया था। अब इस मसौदे को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा, जहां से मंजूरी मिलने के बाद यह प्रभावी हो जाएगा।
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लव जिहाद अध्यादेश को योगी कैबिनेट ने दी मंजूरी