आकस्मिक चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने प्रदेश भर में दौड़ रही 108 एंबुलेंस की हालत खराब चल रही है। इस एंबुलेंस सेवा में मरीजों की जिंदगी बचाने वाले जरूरी उपकरण भी नहीं हैं। आक्सीजन सिलेंडर, शुगर नापने वाला ग्लूको मीटर तक कई वाहनों में नहीं है। यह खुलासा जिलों में 108 एंबुलेंस के नोडल ऑफिसरों की पड़ताल में सामने आया है। करीब 12 जिलों 108 एंबुलेंस व मोबाइल मेडिकल यूनिट की जांच की गई थी। इसके बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की तरफ से 4 फरवरी को जिकित्जा हेल्थ केयर लिमिटेड (जेडएचएल) की ओर से पत्र भेजकर व्यवस्थाएं दुरुस्त करने को कहा गया है। प्रदेश में 606 दीनदयाल 108 चल रही हैं। प्रति एंबुलेंस हर महीने सरकार करीब 1 लाख रुपए खर्च कर रही है। एंबुलेंस में जरूरी उपकरण, ड्राइवर व ईएमटी की ट्रेनिंग, सफाई आदि के लिए मापदंड तय हैं। इसके बाद भी अमल नहीं किया जाता। इसके पहले भी कई बार जांच में एंबुलेंसों में कई कमियां मिल चुकी हैं। जांच के दौरान धार जिले में जननी वाहन में प्राथमिक चिकित्सा किट नहीं मिली।
टीकमगढ़ में जननी वाहन में आक्सीजन सिलेंडर व दवाएं नहीं मिली। छतरपुर में जननी वाहन में लागबुक नहीं थी।बालाघाट में जननी वाहन में साफ-सफाई नहीं थी। मंदसौर व पन्ना में 108 एंबुलेंस में ग्लूकोमीटर काम नहीं कर रहा था। दतिया में 108 एंबुलेंस में बीपी आपरेटस, पल्स आक्सीमीटर, थर्मामीटर, ग्लूकोमीटर काम नहीं कर रहा था। मुरैना में 108 एंबुलेंस के ड्राइवर ने निरीक्षण कराने से ही मना कर दिया। अलीराजपुर में 108 एंबुलेंस में पोर्टेबल वेंटिलेटर, पल्स आक्सीमीटर, मल्टी पैरा मॉनीटर नहीं था। हरदा में एक एंबुलेंस में ग्लूकोमीटर व एक में पल्स ऑक्सीमीटर नहीं था। सीहोर में 108 एंबुलेंस वाहन में साफ-सफाई नहीं मिली। हरदा में मोबाइल मेडिकल यूनिट में एलसीडी व ऑडियो काम नहीं कर रहे थे। छतरपुर में 108 एंबुलेंस में डिजिटल थर्मामीटर व सक्शन डिवाइस नहीं मिले। मालूम हो कि प्रदेश में 108 एंबुलेंस, जननी सेवा व मोबाइल मेडिकल यूनिट का संचालन जेडएचएल कर रही है। वाहनों में मिली कमियों को लेकर जेडएचएल को प्रोजेक्ट हेड ने चुप्पी साध ली।
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प्रदेश में दौड़ रही 108 एंबुलेंस की हालत ठीक नहीं जरुरी उपकरण जैसे वेंटिलेटर, आक्सीजन सिलेंडर व ग्लूकोमीटर का अभाव