मुंबई, । मुंबई में कोरोना संक्रमण के दौरान अन्य बीमारियों पर कंट्रोल हुआ है. मनपा की तरफ से लगातार की गई कोशिशों के चलते हेपेटाइटिस और गैस्ट्रो जैसी बीमारियों से ग्रसित मरीजों की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस साल मनपा ने स्वच्छ पानी की आपूर्ति पर विशेष ध्यान दिया। मनपा के स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताया गया है कि शहर में शुद्ध पानी की आपूर्ति की वजह से पिछले ६ वर्षों में दूषित पानी से फैलने वाली बीमारियों में गिरावट दर्ज की गई है। मालूम हो कि जनवरी, २०२० से नवंबर तक शहर में पानी की वजह से होनेवाली बीमारियों जैसे हेपेटाइटिस ए तथा ई के मरीजों की संख्या में ८३.६० प्रतिशत की कमी आई है, वहीं गैस्ट्रो के मरीजों की संख्या में ६८.०४ प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से नवंबर, २०१९ के दौरान मुंबई में १,४९४ हेपेटाइटिस ए व ई के मरीज मिले थे, वहीं २०२० के ११ महीनों में इस रोग के सिर्फ २४५ मरीज मिले हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष हेपेटाइटिस ए व ई के मरीजों की संख्या में ८३.६० प्रतिशत की कमी आई है।
- गैस्ट्रो मरीजों की संख्या में गिरावट
सिर्फ हेपेटाइटिस ए व ई ही नहीं, बल्कि गैस्ट्रो मरीजों की संख्या में भी गिरावट दर्ज की गई है। २०१९ में इसी दौरान शहर में ७,२४७ गैस्ट्रो के मरीज सामने आए थे। वहीं जनवरी से नवंबर, २०२० के ११ महीनों में मुंबई में कोरोना के २,३१६ गैस्ट्रो के मरीज मिले, जो दर्शाता है कि पिछले वर्ष के आंकड़े के मुकाबले इस वर्ष ६८.०४ प्रतिशत गैस्ट्रो मरीजों की संख्या में कमी आई है। इस संदर्भ में मनपा के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि हेपेटाइटिस और गैस्ट्रो दोनों पानी से फैलने वाली बीमारियां हैं। दोनों बीमारियों के आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी से नवंबर, २०१९ के दरम्यान कुल ८,७४१ मामले सामने आए थे। जबकि वर्ष २०२० में इन बीमारियों के मरीजों की संख्या २,५६१ है। इसका मतलब पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष इन बीमारियों की संख्या में ७०.७० प्रतिशत की कमी आई है।
रीजनल वेस्ट
कोरोना काल में हेपेटाइटिस और गैस्ट्रो जैसी बिमारियों पर कंट्रोल