एक ताजे अध्ययन में कहा गया है कि सेलफोन और माइक्रोवेव के इस्तेमाल से ब्रेन कैंसर का खतरा नहीं होता है। बार्सिलोना इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ में हुए इस अध्ययन के लिए 9000 लोगों के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है। अध्ययन के दौरान विशेषज्ञों को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित होता हो कि मोबाइल फोन और माइक्रोवेव से निकलने वाली रेडिएशन से लोगों में ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा होता है। मोबाइल फोन से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड (ईएमएफ) रेडिएशन निकलती हैं, जिन्हें अनुवांशिक क्षति और कैंसर के लिए जिम्मेदार माना जाता है। 2011 में इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर ने ईएमएफ को मनुष्य में कैंसर होने के संभावित कारणों शामिल किया था। हालांकि नए अध्ययन में विशेषज्ञों ने कहा कि 7 देशों के जिन 9000 लोगों के आंकड़ों पर अध्ययन किया उनमें से 5000 को ब्रेन ट्यूमर था। इनका ईएमएफ एक्सपोजर का आंकड़ा साक्षात्कार के जरिए जुटाया गया। इन सभी प्रतिभागियों के करियर अलग-अलग थे।
कुछ मेडिकल डायग्नोस्टिक, टेलीकम्यूनिकेशन्स और रडार इंजीनियरिंग से जुड़े थे, जिनका ईएमएफ एक्सपोजर अधिक था। सबसे ज्यादा ईएमएफ वाले 10 फीसदी प्रतिभागी थे। अध्ययन के नतीजों के बारे में दुनियाभर के विशेषज्ञों ने अलग-अलग राय दी है। कुछ विशेषज्ञों ने इससे इत्तेफाक जताते हुए और अध्ययन की वकालत की है। प्रमुख शोधकर्ता जेवियर विला का कहना है कि हमें ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले हैं जो ईएमएफ और ब्रेन कैंसर के बीच सीधा संबंध स्थापित करते हों। हालांकि पहले से ब्रेन कैंसर से जूझ रहे लोगों में ईएमएफ के एक्सपोजर के परेशानी बढ़ने की आशंका हो सकती है। इससे पहले दिसंबर में ईएमएफ से जुड़े एक अध्ययन में विशेषज्ञों ने दावा किया था कि इसके संपर्क में आने वाली गर्भवती महिलाओं में गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है। इसमें कहा गया था कि वाई फाई और मोबाइल का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में इसकी आशंका 50 फीसदी तक बढ़ जाती है।
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ब्रेन कैंसर का खतरा नहीं है सेलफोन व माइक्रावेव से - 9 हजार लोगों के आंकड़ों का किया गया अध्ययन