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दिल्ली की कंपकंपाती ठंड में डटे हैं किसान

दिल्ली की कंपकंपाती ठंड में डटे हैं किसान

नई दिल्ली । दिल्ली के बुराड़ी डीडीए मैदान में कंपकपाती ठंड के बीच किसान डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि वे हक मांगने आए हैं, भीख नहीं। उन्होंने कहा कि कृषि बिल किसान विरोधी है। देश को अन्न देने वाला किसान आज इस ठंड में अपनी लड़ाई लड़ने के लिए सड़कों पर उतरा है। हम बिल वापस कराए बिना नहीं लौटेंगे। किसानों का कहना था कि घर के खर्च से लेकर बच्चों की पढ़ाई, बेटी का ब्याह और सब काम के लिए अपनी फसल की बिक्री पर निर्भर हैं, लेकिन इस कानून के बाद हम अपना नियंत्रण खो देंगे। बुराड़ी के डीडीए मैदान में किसानों ने परिसर में ही सरकार विरोधी मार्च निकाला और नारेबाजी की। झंडे के साथ नारा लगाते हुए किसान परिसर में घूमे और एक जगह एकत्रित होकर सभा की। आंदोलन का हिस्सा रहे किसान गुरमीत सिंह का कहना है कि हम लोग तो यहां आ गए हैं, लेकिन हमारे कई साथी सिंघू बार्डर पर हैं। हम भी जंतर-मंतर जाने के लिए एकत्रित हुए हैं, लेकिन हमें जंतर मंतर जाने नहीं दिया जा रहा है। बुराड़ी मैदान में डटे किसान अपने लिए राशन, ईंधन और जरूरी सामान लेकर आए हैं। साथ ही दिल्ली के स्थानीय लोग भी उनके लिए खाना और जरूरी सामान ला रहे हैं। भोजन लेकर पहुंचे मनमीत सिंह ने बताया कि हम किसी राजनीतिक दल से नहीं हैं, लेकिन हम यहां किसानों के लिए आए हैं। किसान देश को खिलाता है और आज यहां ठंड में मौजूद हैं। इसलिए हम लोगों ने अपनी वैन में 600 लोगों के लिए भोजन लेकर आए हैं। किसानों से कहा है कि अगर मैं उनकी किसी और तरह से मदद कर सकूं तो मुझे खुशी होगी। बुराड़ी के डीडीए मैदान में चारों तरफ गेट के पास पुलिस और सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं। परिसर में आने वाली हर गाड़ी की चेकिंग हो रही है। उसका नंबर नोट किया जा रहा है। आने का कारण पूछा जा रहा है। आंदोलन में आने वालों को रोका नहीं जा रहा है। बड़ी संख्या में लोग उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से अपने साधनों से आ रहे हैं। बुराड़ी परिसर में किसानों की संख्या कम है। यहां लगभग 1000 किसान हैं। लेकिन, यहां बड़े-बड़े टेंट लग रहे हैं। उनके खाने के लिए रसोई, सोने और ओढ़ने के लिए बिस्तर लगाए गए हैं। किसानों का कहना है कि हो सकता है कि हम लोगों के समर्थन में आने वाले किसानों के लिए यहां व्यवस्था हो रही हो, लेकिन जो किसान यहां आ रहा है वह अपनी व्यवस्था करके आ रहा है। हम किसी सरकार के भरोसे नहीं हैं।
 

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