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येदियुरप्पा ने लिंगायत कार्ड खेलकर बीजेपी को फंसाया या खुद के पैरों में मारी कुल्हाड़ी? -संघ को लगता है, येदियुरप्पा ने कुछ ऐसा कर दिया जो आरएसएस ने पिछले वर्षों में नहीं किया

येदियुरप्पा ने लिंगायत कार्ड खेलकर बीजेपी को फंसाया या खुद के पैरों में मारी कुल्हाड़ी? -संघ को लगता है, येदियुरप्पा ने कुछ ऐसा कर दिया जो आरएसएस ने पिछले वर्षों में नहीं किया

बेंगलुरु। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने अपनी जाति वीरशैव-लिंगायत को ओबीसी सूची के तहत लाने का प्रस्ताव लाकर एक बड़ा दांव खेला है। उन्होंने इस समुदाय के विकास के लिए लिंगायत विकास निगम बनाने का प्रस्ताव भी रखा है। कुछ राजनीतिक पंडित इसे मास्टरस्ट्रोक बताते हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक हारा-गिरि कहते हैं। दोनों फैसलों को राज्य में जातिगत आधार पर विभाजन के खतरे के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा भी है। जाहिर तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  को इससे नाराजगी है। शुक्रवार को अपने मंत्रिमंडल में सर्वसम्मति की कमी और बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद ओबीसी सूची के तहत वीरशैव-लिंगायत समुदाय को शामिल करने के प्रस्ताव को अंतिम समय पर फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
  राजनीतिक पंडित इस बात पर भी अलग-अलग मत रखते हैं कि वास्तव में 78 वर्षीय येदियुरप्पा को किसने जातिगत दांव खेलने के लिए प्रेरित किया। कुछ लोगों का तर्क है कि उन्होंने अपने पक्ष में लिंगायतों के समर्थन को मजबूत करके अपनी अस्थिर कुर्सी को बचाने के लिए ऐसा किया है। दूसरों को लगता है कि यह सिर्फ एक तुरंत लिया गया फैसला है। अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के बाद लिंगायत कर्नाटक में सबसे बड़ी जाति हैं। येदियुरप्पा को उनका निर्विवाद नेता माना जाता है। येदियुरप्पा ने लिंगायत विकास निगम का गठन करने के बाद कम से कम 50 अन्य जातियों के लिए समान बोर्ड और निगमों की मांग की।
कुछ अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, येदियुरप्पा के इस कदम ने आरएसएस को परेशान कर दिया है। आरएसएस हिंदू एकता में विश्वास करता है और चाहता है कि लोग जातिगत संबद्धता से ऊपर उठें। संघ को लगता है कि येदियुरप्पा ने जानबूझकर या अनजाने में कुछ ऐसा कर दिया है, जो आरएसएस ने पिछले कुछ वर्षों में नहीं किया। इससे आरएसएस की इमेज खराब हुई है। येदियुरप्पा के बाद दूसरे सबसे प्रभावशाली लिंगायत नेता एमबी पाटिल वर्तमान घटनाओं पर चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने घटनाक्रम पर टिप्पणी करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह सिर्फ अभी चीजों पर नजर रख रहे हैं। समय आने पर बोलेंगे। लेकिन, पाटिल के अनुयायी बीजेपी और आरएसएस को ताना मार रहे हैं कि उनके अपने आदमी येदियुरप्पा ने हिंदू धर्म को विभाजित करने का काम किया है।
 

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