नई दिल्ली । तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान सरकार के खिलाफ मोर्चा के लिए पूरी तैयारी के साथ दिल्ली कूच कर रहे हैं। किसान लंबी लड़ाई की तैयारी करके आए हैं। ट्रॉलियों में राशन के साथ-साथ कपड़े, साबुन, एंबुलेंस और डॉक्टरों का भी इंतजाम किया गया है। किसानों का एक समूह कपूरथला में अपने साथ एंबुलेंस, एक डॉक्टर और दवाओं का पूरा कार्टन लेकर आया है।
किसी को भी स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होने पर उसकी तुरंत मदद करने के लिए किसानों ने इंतजाम किया है। दिल्ली हरियाणा सीमा पर सिंघु बॉर्डर पर किसान अब भारी जाम है। यहां ट्रैक्टर ट्रॉलियों की लंबी लाइनें देखने को मिल रही हैं। तिरपाल से ढके ट्रॉली में राशन, दवाएं, ईंधन अन्य सामान रखे हुए हैं।
किसानों के साथ उनके रोजमर्रा के भी सामान हैं। गर्म कंबल, चप्पल, टूथपेस्ट, साबुन और कपड़े धोने के लिए डिटर्जेंट भी साथ रखे हैं। किसानों ने पीने के पानी का भी इंतजाम कर रखा है। किसानों के लिए मिनरल वॉटर का भी इंतजाम किया गया है। साथ ही एक डॉक्टर भी मौजूद हैं जो किसी को भी दिक्कत होने पर इलाज के लिए तैयार हैं। किसानों में मास्क भी बांटा जा रहा है। साथ ही कोरोना को लेकर उचित सतर्कता बरती जा रही है। कई जगह सामुदायिक रसोइयां भी हैं जहां लोगों के लिए भोजन का इंतजाम हो रहा है।
किसानों का कहना है कि उनके पास 6 महीने का राशन है। ऐसे में माना जा रहा है कि किसान लंबी लड़ाई के लिए तैयार हो कर आए हैं।
तीन केन्द्रीय मंत्रियों के साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की मंगलवार को हुई बातचीत बेनतीजा रही है। देश में नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए एक समिति गठित करने की सरकार की पेशकश को किसान संगठनों ने ठुकरा दिया। हालांकि, दोनों पक्ष गुरुवार को फिर से बैठक को लेकर सहमत हुए हैं। सरकार की ओर से कानूनों को निरस्त करने की मांग को खारिज कर दिया। सरकार ने किसानों संगठनों को नए कानूनों को लेकर उनकी आपत्तियों को उजागर करने तथा गुरुवार को होने वाले वार्ता के अगले दौर से पहले बुधवार को सौंपने को कहा है।
किसान संगठनों ने कहा जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जातीं हैं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। बैठक में 35 किसान नेताओं ने भाग लिया। किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका विरोध प्रदर्शन छठे दिन भी जारी रहा। बैठक के बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने एक बयान में कहा कि वार्ता अनिर्णायक रही और सरकार का प्रस्ताव किसान संगठनों को स्वीकार्य नहीं है। सितंबर में लागू किए गए इन कानूनों के बारे में सरकार का पक्ष है कि यह बिचौलियों को हटाकर किसानों को देश में कहीं भी अपनी ऊपज बेचने की छूट देता है और यह कृषि क्षेत्र से जुड़ा बड़ा सुधार है।
रीजनल नार्थ
मांगे माने जाने तक जारी रहेगा किसान आंदोलन, राशन, एंबुलेंस से लेकर टूथपेस्ट तक सब इंतजाम