कैलीफोर्निया । मीथेन प्राकृतिक गैस का प्रमुख तत्व है, और वहां सभी उपलब्ध ईधनों में पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले ईंधन माना जाता है, लेकिन जब यह वायुमंडल में होती है, तब यह गैस एक प्रदूषक हो जाती है जो कार्बन डाइऑक्साइड से भी ज्यादा हानिकारक होती है। कुछ आंकलनों से पता चला है कि समुद्र तली की मीथेन जितनी जमे हुए रूप में है वह दुनिया के सभी कोयला, तेल और गैस के वैश्विक भंडारों से ज्यादा है। लेकिन यह मीथेन समुद्र की तली में से निकल कर कैसे बाहर निकल रही है, यह अभी तक रहस्य ही था। ताजा शोध ने इसका सही कारण पता लगाने में सफलता मिली है। दुनिया भर में अवलोकित स्थानों पर मीथेन के बुलबले निकलते दिखे हैं। लेकिन वैज्ञानिकों के लिए हैरानी की बात यह है कि अत्यधिक दबाव और कम तापमान वाली जगहों पर भी मीथेन निकलने में कामयाब कैसे हो जाती है, जबकि ऐसी जगहों पर बर्फ की परत को मीथेन को बाहर निकलने से रोकने का काम करना चाहिए।
इस बारे में शोधकर्ताओं बताया कि कैसे और क्यों मीथेन समुद्री की तली से बाहर निकलती रहती है। शोधकर्ताओं ने गहरे समुद्र के अवलोकन, लैबोरेटरी प्रयोग और कम्प्यूटर मॉडलिंग का उपयोग कर शोधकर्ताओं ने उस प्रक्रिया का पता लगा लिया है जो यह बताती है गैस कैसे पानी और मीथेन के जमे हुए बर्फीले मिश्रण को तोड़कर बाहर निकलती है।
हैरानी की बात यह है कि जमे हुए मीथेन और पानी जिस हाइड्रेट कहते हैं, न केवल महासागर से बाहर निकल पाती है, बल्कि वह बाद में दूसरी मीथेन निकलने की रास्ता भी बनाकर जाती है। मीथेन के बुलबुले समुद्र की तली से बाहर निकल रहे थे। यह साफ था बुलबुले खुद ही जमी हुई पर्पटी से बनते हैं और ऊपर समुद्र की सतह पर आ जाते हैं। इसके बाद यह पता लगाया कि वर्जीनिया के तट पर भी एक रिचर्ज जहाज से इसतरह के बुलबुले देखने को मिल रहे हैं। हमने इन बुलबुलों को देख कर पाया कि ये बहुत ही सामान्य सी परिघटना हो सकती है। लेकिन समुद्र तली पर वास्तव में ऐसा क्या हो रहा था जिससे ये बुलबुले निकल रहे थे यह अभी तक पता नहीं लगा था। लैब में किए गए बहुत सारे प्रयोगों और सिम्यूलेशन के बाद यह प्रक्रिया धीरे धीरे जाहिर हो गई।
साइंस & टेक्नोलॉजी
शोध में बताया कि किस तरह बर्फ की मोटी परत से बाहर निकलती हैं मीथेन गैस