आज के आधुनिक युग में बच्चे टीवी, मोबाइल और वीडियो गेम खेलकर ही अपना मनोरंजन कर रहे हैं। इससे एक प्रकार से उनका बचपन और विकास प्रभावित हो रहा है। इससे बच्चों में मोटापा, गुस्सा और चश्मे लगने जैसे समस्याएं आम हो गयी हैं। इन समस्याओं को समय रहते रोका जा सकता है।
बच्चों को अगर सही दिनचर्या अपनाकर बाहर खेलने के लिए भेजा जाये तो वे सेहतमंद होने के साथ ही सामाजिक भी बनेंगे। उनमें बांटने और सहयोग करने के साथ ही मिलकर रहने और नेतृत्व के गुण भी विकसित होंगे। दिन भर मोबाइल मे गेम खेलने से एक तो मस्तिष्क पर मोबाइल कि रेडिशन का दुष्प्रभाव पड़ता है साथ ही बच्चों की आंखो पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
बच्चो को दिन भर में करीब 2 घंटे खुले मैदान मे खेलने के लिए जरूर भेजे। वहीं फस्ट फूड से बच्चों को दूर रखे। माता पिता को स्वयं भी बच्चों के साथ समय व्यतीत करना चहिए, इससे उन्हें मनसिक रूप से मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। जितना हो सके आधुनिक जीवन शैली से बच्ची को बचाएं। इससे ना केवल उनका शरीरिक स्तर पर विकास होगा बल्कि मानसिक और शरीरिक रूप से भी उन्हें मजबूती मिलेगी।
शिक्षा का उद्देश्य महज़ बच्चों को किताबी ज्ञान देना नहीं है। बल्कि उनमें सोचने, समझने, तर्क करने और क्या सही है, क्या गलत है इत्यादि बातों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना भी है। ज़ाहिर सी बात है कि ये सभी कौशल केवल एक कक्षा की चारदिवारी में विकसित नहीं हो सकते। इसलिए हमें ऐसे अवसर पैदा करने होंगे जहाँ बच्चों को इस तरह की क्षमताओं के विकास का अवसर मिले। इसके लिए खेल के मैदान से बेहतर कोई जगह नहीं है।
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बच्चों को मैदान में खेलने भेजें