लंदन । नए अध्ययन के अनुसार मंगल (लाल ग्रह ) की सतह के कई मील नीचे जीवन रहा होगा। इस शोध में यहां कभी जीवन होने की संभावना की खास वजह यह बताई है कि मंगल की सतह के नीचे की बर्फ वहां की भूगर्भीय ऊष्मा के कारण पिघल गई होगी जिससे वहां जीवन के अनुकूल हालात बन गए होंगे। इस अध्ययन में मंगल के विभिन्न डेटासेट का अध्ययन किया और देखा गया कि क्या मंगल पर भूगर्भीय गर्मी पिछले 4.1 से लेकर 3.7 अरब साल में रही होगी या नहीं। शोधकर्ताओं ने बताया कि सतह के नीचे बर्फ पिघलने के लिए जरूरी हालात पुरातन मंगल में हर जगह थे।
यदि मंगल में 4 अरब साल पहले तक भी गर्म और नम जलवायु रही होगी, मैग्नेटिक फील्ड नहीं रहा होगा, वायुमंडल पतला हो गया होगा और समय के साथ वहां का वैश्विक तापमान बहुत ही कम हो गया होगा, तरल पानी केवल गहराइयों में ही स्थायी रह पाया होगा। इसलिए यदि मंगल पर कभी जीवन पैदा भी हुआ होगा तो धीरे धीरे वह तरल पानी के साथ जमीन के नीचे तक पहुंच गया होगा। इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और अमेरिका के न्यू ब्रुन्सविक में रुटगर्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लुजेंद्र ओझा का कहना है इतनी गहराइयों पर जीवन हाइड्रोथर्मल गतिविधि और पानी-पत्थर के बीच प्रतिक्रियाओं के जरिए कायम रह सकता है। इसीलिए मंगल पर सतह के नीचे सबसे लंबा जीवन के योग्य वातावरण रह सकता है। शोधकर्ताओं ने यह भी जानने का भी प्रयास किया कि मंगल का वायुमंडल क्या लंबे समय तक गर्म रह पाया होगा या नहीं ओझा ने बताया कि कम्प्यूटर सिम्यूलेशन्स में कार्बन डाइऑक्साइड और पानी की वाष्प जैसी ग्रीन हाउस गैसें भी मंगल के शुरुआती वायुमंडल मिलती रहीं, जलवायु मॉडल्स लंबे समय तक गर्म और नम मंगल को बनाए रखना मुश्किल ही रहा। उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने प्रस्ताव दिया है कि काफी समय पहले मंगल पर उच्च भूगर्भीय ऊष्मा से फेंट यंग सन पैराडॉक्स से तालमेल हो सकता है। सूर्य ने अपनी युवावस्था में ग्रहों को बहुत अधिक मात्रा में गर्मी पहुंचाई थी, लेकिन बाद में यह सिलसिला बंद हो गया।
शोधकर्ताओं के मुताबिक 4 अरब साल पहले सूर्य कम गर्म रहा होगा इसलिए मंगल का शुरुआती वातावरण बहुत ही ठडा रहा होगा। मंगल की सतह के हालात पृथ्वी जैसे जीवन के लिए बहुत ही प्रतिकूल हैं। फिर भी वैज्ञानिक यह नहीं मान पा रहे हैं कि मंगल पर कहीं भी जीवन नहीं होगा, कम से कम इतिहास में तो इसकी गुंजाइश कम ही दिखी है। वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह पर तरल पानी के स्रोत वहां की जमीन के नीचे मिले हैं। जबकि सतह पर केवल ठंडी बर्फ मिली है।
साइंस & टेक्नोलॉजी
लाल ग्रह की सतह के नीचे रहा होगा जीवन -नए अध्ययन में किया गया यह दावा