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 पश्चिम बंगाल विस चुनाव में ओवैसी की एंट्री से भाजपा को मिलेगा अप्रत्यक्ष लाभ

 पश्चिम बंगाल विस चुनाव में ओवैसी की एंट्री से भाजपा को मिलेगा अप्रत्यक्ष लाभ


नई दिल्‍ली । पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में अभी समय है। मई-2021 में राज्‍य की विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है इससे पहले ही यहां पर चुनाव संपन्‍न करवा लिए जाएंगे। 294 सीटों के लिए होने वाला ये विधानसभा चुनाव इस बार खासा मायने रखता है। इसके खास होने की वजह दो हैं। पहली वजह इस विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी का शामिल होना है तो दूसरी वजह भाजपा का पूरी ताकत से इस चुनाव में उतरना है। इन दोनों ने मिलकर इस विधानसभा चुनाव को काफी दिलचस्‍प बनाने का फैसला कर लिया है।
आपको बता दें कि हाल ही में हुए ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार मैदान में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। इसकी बदौलत भाजपा ओवैसी को उनके ही घर में तीसरे स्‍थान पर खदेड़ने में कामयाब रही। इस चुनाव में भाजपा की धमाकेदार एंट्री के संकेतों की बात करें ये काफी बड़े हैं। बहरहाल, ओवैसी की ही यहां पर बात करें तो भले ही उन्‍हें इस स्‍थानीय चुनाव में हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन इससे पहले उनकी पार्टी बिहार में कुछ सीटें अपने खाते में जोड़ने में सफल रही है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि एआईएमआईएम ने पिछली बार महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव में पहली बार आंध्र प्रदेश या तेलंगाना के बाहर विधानसभा की सीटें जीती थीं। उनकी ये दो उपलब्धि ऐसी रही हैं जिनसे ओवैसी काफी उत्‍साहित दिखाई दिए हैं। इसी वजह से उन्‍होंने अब पश्चिम बंगाल के चुनाव पर निगाहें लगा रखी हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में जीत और हैदराबाद नगर निगम चुनाव में मिली हार के बीच आने वाला चुनाव उनके लिए कैसा रहने वाला है इस सवाल का जवाब जानना काफी अहम है।
आगे बढ़ने से पहले आपको ये भी बताना जरूरी है कि ओवैसी ने पश्चिम बंगाल के चुनाव में मौजूदा सत्‍ताधारी तृणमूल कांग्रेस के साथ लड़ने का दांव खेला है। हालांकि अभी ये गठनबंधन वजूद में नहीं आया है लेकिन इसको लेकर कहीं न कहीं अंदर जुगलबंदी जरूरी जारी दिखाई दे रही है। ऐसे में एक बड़ा सवाल ये भी है कि ये दोनों या या सत्‍ताधारी पार्टी भाजपा को कितना नुकसान पहुंचाने में कामयाब हो सकेगी। इसका जवाब जानकारों के पास है। देश की राजनीति पर निगाह रखने वाले वरिष्‍ठ पत्रकार प्रदीप सिंह इस बारे में मानते हैं कि ओवैसी इस बार के चुनाव में पहले से अधिक आक्रामक दिखाई देंगे। जहां तक दोनों के गठबंधन होने या न होने की बात है तो वो मानते हैं ओवैसी का चुनाव में होना ही भाजपा को फायदा पहुंचने के संकेत दे रहा हैं। उनके मुताबिक ओवैसी और तृणमूल में कोई गठबंधन हो या न हो ये तय है कि इन दोनों ही हालात में ओवैसी ममता बनर्जी की पार्टी के वोट काटने में सहायक साबित होंगे और इसका परोक्ष रूप से फायदा भाजपा को ही होगा। प्रदीप सिंह के मुताबिक भाजपा इस बार के विधानसभा चुनाव में निश्चित तौर पर पहले से अधिक सीटें पाएगी।
 

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