बहुत दिनों पूर्व समाचार पत्र में प्रथम समाचार अत्यंत दर्दनाक और वीभस्त,अकल्पनीय। कोई इतना भी गिर कर घृणित कार्य कर सकता हैं जिसने अपनी प्रेमिका की हत्या कर अपने घर में दफनाया और उसके ऊपर सीमेंट का चबूतरा बनाया और उस पर सोता रहा। एक माह के बाद खुलासा हुआ। जिससे ये तय्थ सामने आया कि लड़की के द्वारा प्रेम किया और लिव इन रिलेशन में रहना शुरू किया और लड़की ने अपने माँ बाप से झूठ बोला और अंत मृत्यु। हत्या करने वाला विगत दस साल से जानता था, और बेरोजगार होने के बाबजूद रईसी जिंदगी जी रहा था, शक के आधार पर प्रेमिका कि हत्या और क्या कहा जाए? बड़ी विचित्र कहानी, दिलदहलाने वाली, शोचनीय, चिंतनीय और विचारणीय। इस प्रकार की घटनाएं आम बात हैं।
इस घटना के पीछे आज का नवयुवक और नवयुवती पढ़ी लिखी, समझदार होने के बाद किस प्रकार झांसे में आती? या लड़का किस प्रकार परेशां होता? ,अभी पिछले दिनों एक लड़की जिससे शादी होने वाली थी, लड़के से दस लाख रुपये कि मांग कर रही थी लड़का तनाव ग्रस्त होकर शादी के दो दिन पहले लापता।
किसी ने कहा हैं प्रेम विवाह और धर्म विवाह में बस इतना ही अंतर है --
एक में प्रेम पहले होता है विवाह बाद में
दूसरे में विवाह पहले होता हैं प्रेम बाद में
परिणाम
एक में प्रेम खो जाता हैं विवाह रह जाता हैं।
दूसरे में विवाह खो जाता हैं प्रेम रह जाता हैं।
आज के समय कि बहुत बड़ी समस्या हो गयी हैं प्रेम विवाह, लिव इन रिलेशन, या प्रेम। प्रेम पहले दो आत्माओं का मिलान होता था आज वासना ने अपना स्थान बना लिया हैं। वासना के पीछे लड़का या लड़की कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं /हो रहे हैं। एक संतान या दो संतान के कारण बच्चों के सामने, उनकी बात मानने के लिए बाध्य हो जाते हैं। जोश में होश नहीं रहता। युवा अवस्थाविवेक शून्य होने के कारण, थोड़ी शारीरिक भूख कि तृप्ति के लिए किस कदर, कहाँ तक जा सकते हैं इसके उदहारण कब तक और कहाँ तक दे? प्रेम रोग इतना अधिक प्रचलन में आ गया कि यदि कॉलेज या स्कूल में किसी लड़का या लड़की का बॉय या गर्ल फ्रेंड न हो तो उसे मीरा बाई या लड़के को लल्लू कहते हैं। एक लड़की ने सिर्फ इस कारण आत्मा हत्या की कि उसका कोई प्रेमी नहीं था और उसके हॉस्टल में सब लड़कियों के बॉय फ्रेंड थे, वह तनाव में आ गयी और उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा था।
इस विषय पर अलग अलग दृष्टिकोण अपने अपने तरह के हैं और सबके पक्ष सही हैं और इस बात पर अधिक चर्चा न कर यह चर्चा करना चाहूंगा कि किसके बच्चे प्रेम या लव करते हैं? यह मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, पारिवारिक और परिवेश पर निर्धारित होता हैं, वैसे यह प्राकृतिक क्रिया हैं पर इसका वंशानुगत प्रभाव पड़ता है, इसको समझाना। समझना अनिवार्य हैं --
१ जो माता -पिता अपने बच्चों के प्रति लापरवाह होते है अथवा जिनको अपने बच्चों के प्रति अधिक विश्वास होता हैं कि हमारे बच्चे तो ऐसे हो ही नहीं सकते। हम तो स्वप्न में भी ऐसा नहीं सोच सकतेहै कि हमारे बच्चों ने ऐसा लव जैसा दुष्कृत्य काम किया होगा। ऐसे विचारधारा वाले माता पिता अपने बच्चों को आवश्यकता से अधिक स्वतंत्रता देते है लेकिन बच्चे स्वतंत्र रहते हुए कब स्वछन्द हो जाते हैं उनके माता पिता इस बात को नहीं समझ पाते है। हाँ यह बात अलग है कि माता पिता अपने बच्चों पर विश्वास रखे, माता पिता को अपने बच्चों पर विश्वास रखना चाहिए। विश्वास के साथ बच्चों पर अनुशासन रखे,स्वयं अनुशासित रहें और बच्चों को संस्कारों का बीजारोपण अवश्य करते जाए, जो माता पिता अपने बच्चों पर अनुशासन नहीं रखते, उनके बच्चों में लव के चक्कर में पड़ने कि संभानाएं बहुत अधिक होती हैं।
२ जो माता पिता आपस में विवेक पूर्वक व्यवहार नहीं करते अर्थात बच्चों के सामने या बच्चों कि आँख बचाकर पति पत्नी संबंधी गुप्त क्रियाएं करने कि कोशिश करते हैं उनके बच्चे प्रेम कि तरफ सहज रूप से आकर्षित हो जाते हैं।
३ जो माता पिता रात्रि में दस बजे के बाद बच्चे क्या कर रहे हैं टी.वी पर कौन सी पिक्चर देख रहे? इस बात का ख्याल नहीं रखते या ब्लू फिल्म आदि अश्लीलकार्यक्रमों कि सी.डी घर पर रखते हैं ऐसे लोग स्वयं भी तथा उनके बच्चे प्यार में रूचि लेने लगते हैं।
४ जो माता पिता बच्चे रात्रि में दस बजे के बाद कहाँ घूम रहे? उनकी मित्र मंडली कैसी हैं, वे कहाँ खाते है, क्या खेलते हैं, शराब आदि व्यसनों से मुक्त है या व्यसनी है आदि बातों का ध्यान नहीं रखते उनके बच्चे प्यार में फंस जाते हैं।
५ जो माता पिता अपने बच्चों को प्रेम,प्यार लव से होने वाले दुष्परिणामों से समय समय पर अवगत नहीं कराते उनके बच्चे लव के चक्कर में फंस जाते हैं।
६ बच्चों को सत्संगति में लेजाना, सत्साहित्य पढ़ाना एवम संतों का समागम अर्थात उनके पास आना जाना आदि न कराने से बच्चों में प्रेम के संस्कार जाग्रत होते हैं।
प्रत्येक माता पिता का यह कर्तव्य हैं कि आजकल आर्थिक संमृद्धि के कारण उनको अधिक खर्च करने कि आदत या मनमानी न करने दे। बचपन से हे हम अपनी बेटियों को वदेशी वस्त्र जीन्स, टी शर्ट, टॉप आदि नहीं दिलाएंगे। सादा भारतीय वस्त्र ही पहनने देंगे। अपने बच्चों कि पढाई पूर्ण होने के बाद ही मोबाइल रखने देंगे, पहले नहीं। अपने बच्चों को बाहर अध्ययन हेतु न भेजकर अपनी देखभाल में अध्ययन कराएं। अपने बच्चो को को एजुकेशन में न पढ़ने दे। लौकिक शिक्षा के साथ धार्मिक व नैतिक शिक्षा का भी ध्यान रखे। भारतीय संस्कृति का नाश करने वाले डांस जैसे बहद्दे कार्य नहीं करवाएंगे। अपने बच्चों कि संगति पर पूरा ध्यान रखेंगे। अपने बच्चों को कम से कम नेट, फेस बुक का उपयोग करने दे या दूर रखे। इन बातों पर किन्ही किन्ही को आपत्ति हो सकती हैं कारण हम २१वी सदी में जी रहे और लेखक आदिकालीन परमपरा कि बात कर रहा। पर इसका प्रभाव कौन पर पड़ता है, पहले लड़की पर जब वह गलत काम कर गर्भवती बन जाती तब जीवन मरण का प्रश्न खड़ा होता हैं, लड़के तनाव में, अवसाद में आ जाते हैं तथा कुटैव आदत के शिकार हो जाते हैं।
यहाँ थोड़ा सोचकर, विचार कर समझे कि हम कहीँ किसी लड़के कि एक्टिंग या हॉबी से प्रभावित तो नहीं हो रहे हैं यदि ऐसा हैं तो हम गलत निर्णय ले रहे, क्योंकि जिंदगी एक्टिंग के सहारे नहीं काती जाती। आजकल हम पैकेज या मॉडर्न लाइफ स्टाइल से तो प्यार नहीं कर रहे, यदि ऐसा हैं तो ये चीज़े लंबे समय तक तुम्हे खुश नहीं रख सकती। कहीं हम लड़के की बॉडी फिटनेस, स्टाइल, खुशमिजाजी से तो प्यार नहीं कर रहे, यदि ऐसा हैं तो यह निर्णय जल्दबाज़ी का हैं। दोस्त बनने वाले का कुल, जाति क्या हैं? कहीं हमें बाद में धर्म छोड़ने को मजबूर न होना पड़े? कहीँ हमें अपने पति के लिए अंडा, मांस बनाकर तो नहीं देना पड़ेगा, यहाँ इस बात पर ध्यान दिलाना चाहता हु कि आजकल सरनेम इतने भृन्तिकारक हो गए हैं कि समझना मुश्किल हैं। राजनीती और प्रेम में हर चीज़ जायज होती हैं शुरुआत में प्रेमी प्रेमिका सब बात मानने को तैयार होते हैं बाद में फ़िस्स। लड़के के दोस्त कैसे हैं कॉलेज या सोसाइटी में उसकी कैसी इज़्ज़त हैं। शादी के बाद ससुराल वाले लड़के का साथ देंगे या नहीं, नहीं देने पर लड़का छोड़कर तो नहीं चला जायेगा। लव मैरिज और कोर्ट मैरिज कितनी सफल हैं। इनका प्रतिशत दिन प्रतिदिन बढ़ रहा हैं तलाक आजकल आम बात हो गई। जिस धर्म को छोड़कर शादी कर रही हो उस धर्म को फिर से अपना सकोगी। लव मैरिज के बाद अपने माँ बाप भाई बहिनों का दिल दुखाकर कितने दिन खुश रह पाओगी। तुम्हारे इस निरयण से भाई आवेग में आकर पति कि हत्या कर जिंदगी भर जेल में रहे तो क्या तुम बर्दाश्त कर पाओगी। अपने शौक के पीछे कितनों को शॉक देना पड़ेगा। विचार मेने रखे हैं क्योंकि विषय बहुत विस्तृत हैं, इतना यदि हम समझ ले तो शायद उपरोक्त घटनाओं से हम बच सकेंगे। अन्यथा यह क्रम कम नहीं होना, बढ़ने कि संभावना अधिक हैं।
(लेखक- डॉ. अरविन्द जैन )
आर्टिकल
प्रेम-विवाह या विवाह के बाद प्रेम