नई दिल्ली। टिकरी बॉर्डर पर किसानों को तेजी से नजला, खांसी और जुकाम पकड़ रहा है। लोगों को कान दर्द की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है। मौके पर मेडिकल सुविधा मुहैया करा रहे चिकित्सकों का कहना है कि किसान आंदोलन शुरू होने से लेकर अबतक यहां पर लगभग 50 प्रतिशत लोग इन बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं। इनमें सर्वाधिक संख्या बुजुर्गों की है। वह रोजाना सैकड़ो मरीजों का इलाज कर उन्हें आयुर्वेदिक दवाइयां दे रहे हैं।
आयुर्वेदिक दवाओं से लोगों को फौरी तौर पर राहत भी मिल रही है। द्वारका में आयुर्वेदिक के डॉक्टर इंदरजीत सिंह टीकरी बॉर्डर पर 27 नवम्बर से ही नि:शुल्क फर्स्ट ऐड सेंटर चला रहे हैं। जब से वह यहां पर आए हैं तब से लेकर अब तक मरीजों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ी है। इसके पीछे का कारण पानी, दूषित हवा और सर्दी के मौसम में लग रही ठंड है। जिसके कारण लोगों को नजला, खांसी, जुकाम की समस्या तेजी से हो रही है। वहीं शोर शराबे और नींद पूरी नहीं होने की वजह से बुजुर्गों को कान दर्द की समस्या हो रही है।मरीजों को वालंटियर सर्विस दे रहीं मनवीन कौर ने बताया कि इलाज के लिए करीब 2 किमी. चलकर किसान दवाइयां लेने आ रहे हैं। लेकिन पीछे गाड़ियों की कतार बहुत दूर तक है। दूर के मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। यहां जितने मरीज पहुंच रहे हैं, उनको दवा दी जा रही है। डॉक्टर इंदरजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने नजला खांसी जुकाम के इलाज के लिए मुलेठी, अदरक, शहद, दालचीनी, बड़ी इलायची, सौंफ, फुदीने का चूर्ण व अर्क तैयार किया है। जो लोगों के लिए खासा कारगर साबित हो रहा है। साथ-साथ मरीजों को पतंजलि और दूसरी कंपनियों की आयुर्वेदिक दवाइयां भी दे रहे हैं। जो लोगों को राहत पहुंच रही है इसलिए अन्य मरीज भी दवा लेने पहुंच रहे हैं।
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टिकरी बॉर्डरः 50 प्रतिशत किसानों को खांसी, जुकाम की समस्या