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(रंगसंसार) 'घई बोले बेवजह की कोई भी कला निर्थक है

(रंगसंसार) 'घई बोले बेवजह की कोई भी कला निर्थक है

सिनेमा और आर्ट में सामाजिक प्रासंगिकता होनी चाहिए क्योंकि बेवजह कोई भी कला निर्थक है।यह कहना है फिल्मकार सुभाष घई का। घई ने टेलीविजन पर अपनी फिल्म 'कांची : द अनब्रेकेबल' के डायरेक्टर्स कट के प्रीमियर पर अपनी यह बात जाहिर की। यह फिल्म साल 2014 में रिलीज हुई थी। यह उनके द्वारा निर्देशित आखिरी फिल्म है। कई बेहतरीन फिल्में देने वाले इस 75 वर्षीय फिल्मकार ने कहा, "मेरा मानना है कि बेवजह कोई भी कला निर्थक है। 'कांची : द अनब्रेकेबल' उन सभी चीजों का प्रतिबिंब है, जो समाज को गंदा कर रहे हैं। हम आगे बढ़ रहे हैं और एक स्वच्छ, निर्मल समाज का गठन कर रहे हैं, लेकिन फिल्म की कहानी आज भी प्रासंगिक है। एक बेहद उत्साही टीम और दिवंगत ऋषि कपूर, मिथुन चक्रवर्ती, कार्तिक आर्यन और मिष्टि ने मिलकर यह फिल्म बनाई है, जो कि कला का एक उत्कृष्ट नमूना है।"उनका कहना है कि उन्होंने फिल्म निर्माण के दौरान अपने प्रयासों के माध्यम से कला के अपने सिद्धांत को बनाए रखने को कोशिश की है। 

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