नई दिल्ली । केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान अपने प्रदर्शन को रोकने का या धीमा करने का नाम ही नहीं ले रह हैं, केंद्र सरकार ने प्रदर्शनकारियों से अनुरोध किया था कि बुजुर्गों और बच्चों को घर वापस भेज दिया जाए, लेकिन इसके बावजूद भी यूपी गेट पर कई लोगों ने उनके अनुरोध पर को ध्यान नहीं दिया। वहां भीड़ा बरकार रही। 60 साल के सुरेश चंद "मौन व्रत पर हैं और उन्होंने अपने मुंह के चारों ओर एक मास्क लगाया है जिसमें लिखा है "गांधी जी के पद चिन्ह- भूख हड़ताल। उन्होंने मांगों की एक सूची के साथ एक हस्तलिखित नोट दिखाया जिसमें नए कृषि कानूनों को पूरा करना शामिल था। उनके आसपास के लोगों ने कहा कि चांद 6 दिसंबर से व्रत कर रहे हैं। मेरठ के 63 वर्षीय सतनाम सिंह भी विरोध में शामिल हैं। दिन में वे राजमार्ग पर बैठे रहते हैं और रात में सड़क के किनारे सोते हैं। उन्होंने सफेद कुर्ता-पायजामा और पारंपरिक पंजाबी जूटी को जूते के रूप में तैयार किया है।
उन्होंने कहा कि जब तक सरकार हमारी मांगों को स्वीकार नहीं करती, तब तक यहां से वापस जाने का कोई सवाल नहीं है। हमने सरकार चुनी और उन्हें हमारी मांगों पर ध्यान देना चाहिए। वास्तव में, अगर इन मांगों को पूरा किया जाता है, तो प्रधान मंत्री की सभी प्रशंसा करेंगे और बहुत प्रशंसा प्राप्त करेंगे।
पीलीभीत निवासी 19 वर्षीय विक्रमजीत सिंह यूनिवर्सिटी जाने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने वाले थे। महामारी के बाद से, मैंने यहां रहने का फैसला किया और जब विरोध हुआ, तो मैंने उनके साथ जुड़ने का फैसला किया। किसानों की मांग पूरी होने तक मैं पीछे नहीं हटूंगा। मैं अन्य किसानों के साथ ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर सो रहा हूं। किसान यूनियनों ने बुधवार को केंद्र द्वारा भेजे गए एक प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया, जिसमें कृषि कानूनों पर लगाए गए गतिरोध को समाप्त किया था। किसानों ने कहा कि वे 12 दिसंबर तक दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध करेंगे और 14 दिसंबर को देश के कई हिस्सों में धरना प्रदर्शन करेंगे।
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बुजुर्ग और बच्चे बढ़-चढ़ कर किसान आंदोलन में ले रहे हैं भाग - सरकार के अनुरोध के बावजूद छोड़कर जाने को नहीं तैयार