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श्वांस की बीमारी है तो ना लगाए एन 95 मास्क हो सकता है नुकसानदायक 

श्वांस की बीमारी है तो ना लगाए एन 95 मास्क हो सकता है नुकसानदायक 

भोपाल । चिकित्सकों का कहना है ‎कि जिन लोगों को फेफड़े में पहले से कोई तकलीफ है, श्वास संबंधी बीमारी है, उनके लिए एन95 मास्क ज्यादा देर तक लगाकर रखना नुकसानदायक हो सकता है। उनकी श्वास संबंधी समस्याएं और बढ़ सकती हैं। बता दें ‎कि जानलेवा महामारी कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क लगाना जरूरी है। जब तक कोई वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक मास्क ही वैक्सीन है। इस बारे में चिकित्सकों का कहना है की मास्क लगाने की वजह से सांस छोड़ने पर निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड पूरी तरह से बाहर नहीं निकलती। दोबारा सांस खींचने पर यह गैस फिर से फेफड़ों में पहुंचती है। इस प्रक्रिया में शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। इस बीमारी को हाइपरकेपनिया कहा जाता है।हमीदिया अस्पताल के छाती व श्वास रोग विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. विकास मिश्रा ने कहा कि एन95 मास्क स्वास्थ्यकर्मियों को लगाने की जरूरत होती है। सामान्य व्यक्ति सर्जिकल मास्क लगाकर भी अपना बचाव कर सकता है। उन्होंने कहा कि व्यायाम करते समय, गाड़ी चलाते समय और सीढ़ियां चढ़ते समय मास्क उतार लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि खाली जगह पर जाकर पहले हाथों को अच्छे से सैनिटाइज करें। इसके बाद मास्क की कान में फंसाने वाली पट्टी पकड़कर मास्क कुछ देर के लिए उतार सकते हैं। मास्क उतारते और पहनते समय इसके सामने के हिस्से में हाथ ना लगाएं। डॉ. मिश्रा ने कहा कि एन95 मास्क का उपयोग चार-चार दिन का अंतर कर पांच बार कर सकते हैं। मास्क को धोकर या सैनिटाइज कर बार-बार उपयोग करना स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। व्यक्ति मास्क पहने होने के भरोसे में खुद का कोरोना से बचाव भी नहीं करता। हमीदिया अस्पताल में हृदय रोग विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ आरएस मीणा ने कहा कि स्वस्थ व्यक्ति को मास्क लगाने से कोई दिक्कत नहीं होती, लेकिन जिनके फेफड़े पहले ही पूरी तरह कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर नहीं कर पाते, उन्हें दिक्कत हो सकती है। ऐसे लोगों को ज्यादा जरूरी ना हो तो कपड़े का या सर्जिकल मास्क लगाना चाहिए। एन95 मास्क लगाने से उन्हें बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाइपरकेपनिया की वजह से चक्कर आना, सिर दर्द, घबराहट, बेचैनी और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं।

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