क्या आपको पता है कि बड़ी से बड़ी बीमारी के ठीक होने में भोजन की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। फिर चाहें वे डायबिटीज, स्ट्रोक या हृदय जैसी कोई गंभीर बीमारी हो। अपनी अच्छी डायट से इनके हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है। ताजे फल और सब्जियाें में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो हर तरह के स्वास्थ्य जोखिमों को नियंत्रित कर सकते हैं। अगर आप को भी ब्रेन स्ट्रोक का डर है तो उसे रोकने के लिए अपने खानपान में इस तरह के फ्रूट्स और सब्जियां शामिल कर सकते हैं। लेकिन ब्रेन स्ट्रोक कम करने के फूड्स के बारे में बताने से पहले आपको बता दें कि आप हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को कम करने के लिए डिटेलुआ डायटिशियन डीएएसएच डॉयट यानी डायटरी एप्रोचेस टू स्टॉप हाइपरटेंशन को भी फॉलो कर सकते हैं।
एक डीएएसएच डायट में कोलेस्ट्रॉल, सोडियम और फैट की कम से कम मात्रा होती है। इसके लिए अपने आहार में साबुत अनाज, फल, सब्जियां, लीन प्रोटीन और कम वसा वाले डेयरी उत्पादों के सेवन पर जोर दिया जाता है। डीएएसएच डॉयट में फाइबर, पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल किए जाते हैं। जिनमें शामिल हैं:सब्जियांः प्रतिदिन 3 से 5 तरह की सब्जियां खाएं , फलः प्रतिदिन 4 से 5 तरह के फल खाएं अनाजः प्रतिदिन 6 प्रकार के अनाज खाएं,लो-फैट और फ्री डेयरी उत्पादः प्रतिदिन 2 से 3 मात्रा में इनका सेवन करें नट्स, सीड्स और फलियां: प्रति सप्ताह 3 से ५,फैट और तेल: प्रतिदिन 2 से 3 सर्विंग शुगर की मात्राः प्रति सप्ताह 0 से 5 सर्विंग्स , सोडियम: प्रति दिन 1,500 मिग्रा से अधिक नहीं
ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं जिनमें कैलोरी और फैट की कम मात्रा होती है। लेकिन, ये पदार्थ फाइबर का एक अच्छा स्त्रोत भी होते हैं। जो शरीर को तरोजाता रखने के साथ इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाने में मददगार होते हैं।
ब्रेन स्ट्रोक का मुख्य कारण हाई ब्लड प्रेशर होता है। वहीं, केले में पोटैशियम की उच्च मात्रा होती है जो ब्लड प्रेशर कम करने में मददगार होता है। अगर नियमित तौर पर अपने आहार में आप केले का सेवन करते हैं, तो 24 फीसदी तक ब्रेन स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकते हैं।
कम वासा वाले दूध और उससे बने उत्पादों में मैग्नेशियम और कैल्शिम के साथ-साथ पोटैशियम की भी उच्च मात्रा पाई जाती है। ये प्राकृतिक रूप से कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा जौ और भुट्टा जैसे आहार में भी मैग्नेशियम का अच्छा स्त्रोत माना जाता है। इनके सेवन से आप 30 फीसदी तक स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकते हैं।
आप हेल्दी नाश्ते के तौर पर ओटमील को भी अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। ओटमील खाने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है। साथ ही, यह पेट को भी स्वस्थ्य रखता है। इसमें आप बादाम और सोया भी मिला सकते हैं। इन तीनों में ही फैट की मात्रा बहुत कम होती है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को 28 फीसदी तक कम कर सकते हैं।
शकरकंद में फाइबर का अच्छा स्त्रोत पाया जाता है।
ब्लूबेरी और इसकी प्रजातियां एंटी-ऑक्सीडेंट्स का एक अच्छा स्त्रोत होते हैं। ये खून की नसों को चौड़ा करने में मदद कर सकते हैं।
पालक में पर्याप्त मात्रा में मैग्नीशियम, विटामिन बी और फोलेट की मात्रा पाई जाती है। यह ब्लड प्रेशर को कम करता है और स्ट्रोक के जोखिम से भी बचाता है। इसके साथ ही, बीन्स में भी फोलेट और विटामिन बी की अच्छी मात्रा होती है। इनसे सेवन से 20 फीसदी तक स्ट्रोक के जोखिम को कम किया जा सकता है।
स्ट्रोक कम करने के फूड्स की जानकारी के लिए यह सबसे जरूरी है की आप जो भी खा रहें हैं या जिस भी खाद्य पदार्थ को खरीद रहें हैं, उसके पैक पर लगे लेबल की जांच करें। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के निर्देशों के अनुसार मार्केट में मिलने वाले हर तरह के खाद्य उत्पादक कंपनियों को अपने उत्पादित पदार्थों में मिले सभी पदार्थों की मात्रा सही मात्रा पैक के लेबल पर अंकित करना अनिवार्य है। इस जानकारी से आप आसानी से अपने लिए स्ट्रोक कम करने के फूड्स का चुनाव कर सकते हैं। जब भी आप मार्केट से किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ खरीदें, तो उसके पैक पर इनकी मात्रा चेक करेंःकैलोरीकुल वसा संतृप्त वसा ट्रांस वसा कोलेस्ट्रॉल सोडियम फाइबर आहार
एक अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक हर साल विश्वभर में लगभग 5 लाख लोगों की मृत्यु ब्रेन स्ट्रोक के कारण होती है। वहीं, अमेरिका में होने वाली मौतों में मस्तिष्काघात तीसरा सबसे बड़ा कारण भी है। हालांकि, आप अपने लाइफस्टाइल और दैनिक आहार में ही बदलाव करके स्ट्रोक के 80 फीसदी जोखिम को कम कर सकते हैं।
साथ ही, स्ट्रोक कम करने के आहार के नियमों के पालन के साथ-साथ आपको अपनी कुछ आदतों जैसे, स्मोकिंग या बहुत ज्यादा फास्ट फूड और फैटी खाद्य पदार्थों को खाने की आदतों में बदलाव लाना होगा और नियमित तौर पर एक्सरसाइज भी करना होगा।
अचानक से शरीर के किसी हिस्से का काम करना बंद कर देना, बेहोश होना, बोलने में परेशानी होना, देखने में परेशानी महसूस करना, किसी की कही बात समझने में परेशानी होना, चक्कर आना या अचानक से बहुत तेज सिर दर्द होना जैसे लक्षण ब्रेन स्ट्रोक के कारण हो सकते हैं।
ब्रेन स्ट्रोक को हिंदी में ‘मस्तिष्क का दौरा’ या मस्तिष्काघात कहा जाता है। कुछ स्वास्थ्य स्थितियां भी ब्रेन स्ट्रोक के कारण बन सकते हैं। जैसे, हाई ब्लड प्रेशर, बहुत ज्यादा स्मोकिंग या अल्कोहल पीने की आदत, दिल से जुड़े रोग, हाई ब्लड कोलेस्ट्राल लेवल या डायबिटीज की समस्या। साथ ही, कुछ मामलों में आनुवांशिक या जन्मजात स्थितियां भी मस्तिष्काघात का कारण हो सकती हैं।
तंत्रिका तंत्र शरीर से मस्तिष्क तक आगे और पीछे सिग्नल भेजने का कार्य करती है। यह मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और पूरे शरीर में तंत्रिकाओं से मिलकर बना होता है। अगर ब्रेन स्ट्रोक के कारण यह ख़राब होता है तो यह ब्रेन को सिंग्नल देना बंद कर सकता है। जिससे शरीर के अंग सही रूप से कार्य करना बंद कर सकते हैं।
अगर ब्रेन स्ट्रोक के कारण नर्वस सिस्टम डैमेज होती है, तो इसके बाद किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधियों या खेलों को खेलते समय आपको सामान्य से अधिक दर्द का एहसास हो सकता है। क्योंकि, ब्रेन स्ट्रोक के कारण तंत्रिका तंत्र डैमेज होने के बाद मस्तिष्क ठंडी या गर्मी जैसे संवेदनाओं को पहले की तरह नहीं समझ पाता है।
अन्य स्थितियां भी देखी जा सकती हैं जैसेः
मस्तिष्क के सामने का हिस्सा प्रभावित होने के कारण सोचने-समझने की क्षमता कम हो सकती है
मस्तिष्क के दाईं ओर डैमेज होने के कारण भूलने की समस्या हो सकती है
आंखों से धुंधला दिखाई दे सकता है या अंधापन भी हो सकता है
फुट ड्रॉप की समस्या हो सकती है। इसके कारण पैर के सामने के हिस्से को उठाना मुश्किल हो जाता है। इसकी स्थिति में चलते समय जब पैर की अंगुलियों को जमीन पर रखने पर खिंचाव महसूस होगा।
ब्रेन में ब्लीडिंग होने के कारण संचार प्रणाली नष्ट हो सकती है। हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या स्मोकिंग इसका मुख्य कारण हो सकता है। इसे रक्तस्रावी स्ट्रोक या इस्कीमिक स्ट्रोक भी कहा जाता है। अगर मस्तिष्क के दौरे के कारण सर्क्युलेटरी सिस्टम डैमेज होता है, तो दूसरा स्ट्रोक आने या दिल का दौरा पड़ने का खतरा भी अधिक बढ़ जाता है।
दिमाग के दौरे के कारण अगर मस्तिष्क का आंतों को नियंत्रित करने वाला हिस्सा प्रभावित होता है, तो पाचन तंत्र खराब हो सकता है। डायजेस्टिव सिस्टम डैमेज होने के कारण कब्ज की समस्या, पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं पी पाने की समस्या या शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं होने की समस्या हो सकती है।
दिमाग के दौरे की पहचान कैसे करें?
अचानक शरीर का सुन्न होना
अचानक कमजोरी महसूस करना
अचानक हाथ-पैर का काम करना बंद कर देना
अचानक एक या दोनों आंखों से धुंधला दिखाई देना या दिखाई देना बंद होना
चलने में असमर्थ होना
बिना किसी कारण के अचानक सिरदर्द होना
हमारा मस्तिष्क एक अत्यंत जटिल अंग है जो शरीर के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करता है। अगर ब्रेन स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त प्रवाह प्रभावित होता है, तो हमारा मस्तिष्क उस हिस्से के कार्य को सुचारू रूप से करने में असमर्थ हो जाता है। जिसके कारण शरीर का कोई अंग भी पैरालाइज हो सकता है। आमतौर पर ब्रेन स्ट्रोक मस्तिष्क के किसी एक हिस्से को प्रभावित करता है। हालांकि, वह दोनों हिस्सों में से जिस भी हिस्से को प्रभावित करेगा वो विकलांगता का कारण बन सकता है। हालांकि, शरीर पर इसका कितना दुष्प्रभाव होगा यह ब्रेन स्ट्रोक कारणों और अन्य स्थितियों पर भी निर्भर कर सकता है।
अगर ब्रेन स्ट्रोक मस्तिष्क के बाईं ओर होता है, तो शरीर का दाहिना हिस्सा प्रभावित होगा, जो निम्न में से कुछ या सभी दुष्प्रभावों का कारण बन सकता हैः
शरीर के दाहिनी हिस्से में लकवा होना
बोलने और बात समझने में असमर्थ होना
शरीर के अंगों का धीरे-धीरे कार्य करना
मानसिक स्थिति में परविर्तन होना, जैसे-सोचने-समझने की स्थिति कम होना
याददाश्त खोना।
मस्तिष्क के दाएं तरफ ब्रेन स्ट्रोक के कारण क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?
अगर ब्रेन स्ट्रोक मस्तिष्क के दाईं ओर होता है, तो शरीर का बायां हिस्सा प्रभावित होगा, जो निम्न में से कुछ या सभी दुष्प्रभावों का कारण बन सकता हैः
शरीर के बाईं ओर का पक्षाघात यानी लकवा होना
देखने में परेशानी होना
अंधापन का कारण होना
व्यवहार में परिवर्तन होना
याददाश्त खोना।
ब्रेन स्टेम तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम में एक ब्रिज की तरह काम करता है। सभी फाइबर जो शरीर से ब्रेन में जाते हैं वो ब्रेन स्टेम से होते हुए ब्रेन की नसों से गुजरते हैं। यह मस्तिष्क के केंद्र में रीढ़ की हड्डी के ठीक ऊपर होता है। जब मस्तिष्क स्टेम में ब्रेन स्ट्रोक होता है, तो ब्रेन स्ट्रोक का अटैक कितना गंभीर है इसके आधार पर, ब्रेन स्टेम शरीर के दोनों किनारों को प्रभावित कर सकता है। इसके प्रभावित होने के कारण बोलने में परेशानी, सांस लेने में तकलीफ और दिल की धड़कन अनियंत्रित हो सकती है। आमतौर पर ब्रेन स्ट्रोक के कारण ब्रेन स्ट्रेम को होने वाले जोखिम नहीं होते हैं, हालांकि, ब्रेन स्ट्रोर के कारण ब्रेन का कितना हिस्सा और कैसे प्रभावित हुआ है, ऐसी स्थिति ब्रेन स्टेम का कारण बन सकती है।
दिमाग का दौरा किसी भी उम्र के व्यक्ति को किसी भी समय आ सकता है। हर साल लगभग 6 लाख लोग स्ट्रोक के खतरे से गुजरते हैं। आधुनिक दौर में ब्रेन स्ट्रोक के उपचार के लिए जरूरी है कि अपने दैनिक आहार और शारीरिक क्रियाओं पर ध्यान दें। इसके अलावा ऐसे कई ट्रीटमेंट हैं जो मस्तिष्काघात के उपचार के लिए कारगर हैं। कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।यह बहुत गंभीर रोग होता हैं इसमें अविलम्ब इलाज़ की जरुरत होती हैं।
(वैद्य अरविन्द प्रेमचंद जैन)
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(स्वास्थ्य जारूकता ) ब्रेन स्ट्रोक कम करने के लिए अच्छे आहार