नई दिल्ली । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में किसानों का आंदोलन अनवरत जारी है। सरकार के साथ उनकी कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन असफल रही है। सरकार किसी भी कीमत पर कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। हालांकि सरकार ने किसानों को लिखित प्रस्तावना भी दी, लेकिन बात नहीं बनी। इस बीच केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने रविवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह को यूपी गेट (गाजियाबाद)-गाजीपुर (दिल्ली) सीमा पर अपने प्रदर्शन में शामिल होने से रोक दिया। पुलिस ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लड़कियों समेत छह छात्रों का समूह गीत गाता और डफली बजाता हुआ किसानों को समर्थन देने आया था। डीएसपी अंशू जैन ने कहा कि जब किसान नेताओं ने प्रदर्शन स्थल पर छात्रों की मौजूदगी पर आपत्ति जतायी तो पुलिस ने उन्हें वापस भेज दिया। इस बीच भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ''किसानों की एकता को तोड़ना चाहती है।'' उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में किसानों का प्रदर्शन स्थल पर आने का सिलसिला जारी है और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन इतिहास रच देगा। एक विज्ञप्ति के मुताबिक भाकियू नेता ने कहा कि सोमवार को किसान सुबह आठ से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल करेंगे। वहीं, नोएडा-दिल्ली चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के एक समूह ने फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फैसला करने के लिये सरकार से किसान आयोग के गठन की मांग की। चिल्ला बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे भारतीय किसान यूनियन ने किसानों की पेंशन के लिये कानूनी प्रावधान की भी मांग की। बीकेयू के प्रमुख ठाकुर भानू प्रताप सिंह ने ये मांग उठाते हुए कहा कि इससे देशभर के किसानों को फायदा होगा।
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आंदोलन में शामिल होने के लिए डफली लेकर पहुंचे थे जामिया के छात्रा