YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आर्टिकल

सांच को आंच नहीं आती 

सांच को आंच नहीं आती 


कहते है कि सांच को आंच नहीं आती।राजा को रंक बनने में एक पल भी नहीं  लगता ।वक्त का पहिया जब घूमता है तो कंगाल होने में देर नहीं लगती।मानव झूठ-फरेब करके अमीरी का लबादा पहन रहा है मगर झूठ के पांव नही होते।कभी न कभी झूठ लड़खडा सकता है मगर जो सच्चाई के पथ पर चलता है उसका बाल तक बांका नहीं होता। कहते है कि व्यक्ति को अपना अतीत नहीं भूलना चाहिए भले ही आदमी कितनी ही उंचाईयां छू लें। कार-कोठी को ही जीवन का लक्ष्य मान अन्य लोगो कों को नीचा दिखाने की कोशिश में लगे व्यक्तियों की पोल आखिकार
खुल जाती है, समाज की रचना के लिए सादगीपूर्ण जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए।।राजा को रंक बनने में एक पल भी नहीं लगता ।आज ईमानदार लोगों की कद्र नहीं है जबकि बेईमानों को पूजा जा रहा है मगर यह सर्वमान्य है कि हमेशा ईमानदारी की जीत हुई है बेईमानी औंधे मंुह गिरी है। आज लोगों के पास समय नहीं है इतना व्यस्त है कि रोटी खाने के लिये समय नहीं है। हर समय पैसा ही पैसा कमाने मे व्यस्त रहता है।अनैतिक तरीकों से धन कमा रहा है मगर मानव को यह पता है कि दुनिया में नंगा आया था नंगा ही जाएगा तो यह धन-दौलत का लालच क्यों कर रहा है। गलत काम करके पैसा अर्जित करके आलिशान महल बना रहा है मगर पल की खबर नहीं है।मानव को एक दूसरे के सुख दुख में शामिल होना चाहिए। आज कुछ तथाकथित अमीर बने लोग कारों में बैठकर ऐसे बन जाते है कि धरती पर चल रहे मानव को कीडे़-मकोड़े समझते है आज कारे तों छोटे से छोटे लोगों ने रखी है कार में बैठकर कोई बड़ा नहीं बन सकता समाज के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने वाले के आगे कारों की चमक फीकी पड़ जाती  है। यह  लोग कार, कोठी और पैसे को ही जीवन का ध्येय मान बैठे हैं। महगें
कपड़े पहन कर कोई आदमी बड़ा नहीं है बल्कि उसके गुणों के कारण ही पहचान होती है।कुछ लोग आत्मकेन्द्रित होते हैं बस अपना काम हो जाए दुनिया भाड़ में जाए।आज भूखी जुएं अपनी औकात भूलकर ऐसे इतराती है कि जैसे खानदानी रईस हो पर वक्त के पास हर आदमी का लेखा-जोखा है कि कौन रईस था और कौन दाने-दाने को मोहताज था। किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए हर आदमी से समानता का व्यवहार करना चाहिए।कभी भी भेदभाव नहीं करना चाहिए।वक्त बदलते देर नहीं लगती भाग्य किसी को भी अर्श पर ले जाता है और किसी को फर्श पर
ले जाता है इसलिए मानव को मर्यादा में रहकर ही हर काम करना चाहिए।आदमी को किसी के साथ भी धोखा नहीं करना चाहिए।किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए।क्योंकि एक बार विश्वास टूट जाता तो फिर से कायम कर पाना मुश्किल हो जाता है।ऐसे मानव का जीवन व्यर्थ है जो दूसरों को दुख देता है।गरीब आदमी को कभी नहीं सताना चाहिए अगर गरीब की बददुआ लग जाए तो बड़े से बड़ा धराशायी हो जाता है। भूखे को रोटी और प्यासे को पानी पिलाना चाहिए। 
प्रत्येक साधन-संपन्न मानव को लाचार व गरीब लोागों को दान पुण्य करना चाहिए। मानव को एकजुट होकर हर मानव का सहायता करनी चाहिए। आज वह भगवान के साथ छल -कपट तक करने से नहीं चुकता मगर जब उसकी मार पडती है तो होश ठिकाने आ जाते हैं। ऐसे लोगों केा आदमियों की पहचान नहीं होती कि कौन अच्छा है कौन बुरा है। आज चापलूस लोगों का बोलबाला हो गया है लेकिन खुदा सब देख रहा है ईमानदारी की हमेशा जीत हुई है यह एक शाश्वत सत्य है औरबेईमानों का सत्यनाश हुआ है। खुदा के घर में देर है अन्धेर नहीं है।आदमी
को समय से डरना चाहिए क्योकि वक्त का कोई पता नहीं कि कब कौन मिट्टी में मिल जाए। मानव  को हमेशा समानता व एक समान व्यवहार करना चाहिए। क्योकि जो आदमी भेदभाव करता है वह मानवता के नाम पर कलंक है। एक पत्थर सिर्फ एक बार मंदिर जाता है और भगवान बन जाता है हम इंसान हर रोज मंदिर जाते है फिर भी पत्थर ही रहते हैं ।आज ईमानदार लोगों की खिल्ली उडाई जाती है प्रत्येक इन्सान का एक स्वाभिमान होता है उसे बनाए रखना चाहिए भले ही कितनी ही विपति आ जाए अपना स्वाभिमान बरकरार रखना चाहिए मानव को अपने स्वाभिमान के आसू हर जगह नहीं बहाने चाहिए।जीवन में हम अनेक सुख-दुख देखते है,परन्तु क्या हमने किसी और के लिए कुछ करने के बाद सच्चे सुख की अनुभूति की है दूसरों को अपनी सामथ्र्य के अनुसार दीजिए ,खासकर उन्हे जो अनेक चीजों से
वंचित ही रहे या जिन्हे दुख के सिवाय कुछ भी नहीं मिला। आप महसूस करेगें कि परोपकार का काम करने के बाद आपके होंठों पर आई मुस्कराहट दुनियाभर की दौलत से भी मंहगी होगी।मानव नंगा आता है नंगा ही चला जाता है इस संसार में जो पैदा हुआ है उसे एक दिन इस नश्वर संसार को छोडना ही है आधुनिक युग में जीवन मूल्यों में गिरावट समाज में विष घोल कुंठा उत्पन्न कर रही है तनिक लाभ के लिए लोग अपना जमीर बेच रहे हैं। मानव को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए।समय बहुत ही बलवान है वक्त के थपेडों से कोई नहीं बच पाया है।कहते अपने ही काम आते है मगर आज आदमी ही आदमी से नफरत कर रहा है कुते बिस्किट खा रहे है मगर मानव भूख से त्रस्त है क्या मजाल की कोई भूखे को रोटी का निवाला दे। आदमी नरभक्षी बनता जा रहा है प्रतिदिन शराब,मांस ,मदिरा का प्रयोग कर रहा है। इंसान फितरती होता जा रहा है। मानव विलासिता पर धन खर्च कर रहा है। सुख में तो सभी साथ होते है मगर दुख में साथ छोड देते है ,आदमी आज गिरगिटों की तरह रंग बदलता है। आज मानव मतलब निकल जाने पर पहचानने से इन्कार कर देता है। आज मानव ने भले ही कितनी प्रगति कर ली है मगर सोच वही सामंतवादी है।पैसा ही सब कुछ नहीं होता मगर आज रिश्तेे  तराजू पर तोले जाते है अगर कोई गरीब है तो उसके साथ भेदभाव किया जाता है।वक्त बदलते देर नही लगती इसलिए आदमी को अपना अतीत याद करते रहना चाहिए।ताकि विपतीेेयो का अहसास होता रहे। आदमी को सादगी व उच्च विचारों मे विश्वास रखना चाहिए। जीवन एक बार मिलता है,बार-बार नहीं अतः प्रत्येक इन्सान की जितनी सहायता हो सके करनी चाहिए।मानव को सदा अच्छे कर्म करने  चाहिए क्योकि अगर तुम अच्छा करोगे अच्छाई ही मिलेगी दुनिया युगों-युगों तक याद रखेगीं।अमर हो जाओगे। अगर तुम किसी का अच्छा नहीं कर सकते तो बुरा भी मत करो किसी को मत सताओ।  पैसे से गुजरा हुआ समय खरीदना नामुमकिन है।आदमी को कभी भी किसी का निरादर नहीं करना चाहिए ,प्रत्येक मानव का आदर -सत्कार करना चाहिए। कहने का तात्पर्य यह है कि मानव की जीते जी सहायता कि जाए तो वही सच्ची मानवता कहलाएगी।
(लेखक-नरेन्द्र भारती  )

Related Posts