YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आर्टिकल

श्री श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पटनागंज रहली 

श्री श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पटनागंज रहली 


भारत वर्ष में जैन धर्म अत्यंत प्राचीन धर्म हैं। जैन धर्म की पहचान तीर्थ क्षेत्रों से होती हैं। ये तीन प्रकार  के होते हैं सिद्ध क्षेत्र ,अतिशय क्षेत्र और तीर्थ क्षेत्र। आज बहुत अधिक तीर्थ क्षेत्र निर्मित किये जा रहे हैं पर उनमे उतनी शुचिता नहीं दिखाई पड़ती। उसका कारण आजकल जो द्रव्य निर्माण में लगाया जाता हैं वह उतना शुचिता का न होना भी एक कारण हो सकता हैं पर  सिद्ध क्षेत्र और अतिशय क्षेत्र की अपनी अहम भूमिका होती हैं। 
श्री श्री जैन अतिशय क्षेत्र पटना गंज रहली जिला सागर में स्थित हैं यह रहली तहसीली से लगभग एक किलोमीटर सुनार नदी के किनारे स्थित हैं। यह मंदिर क्षेत्र लगभग ७०० वर्ष प्राचीन हैं। यहाँ पर तीस अतिशयकारी ,सौम्य और आकर्षक मूर्तियां हैं ,इनके मंदिरों में जो गुम्बद हैं वे बहुत ही आकर्षक हैं। यह स्थान अत्यंत शांत ,सुरम्य और प्रकृति के नजदीक होने से यहाँ आकर मनुष्य शांत भाव से चिंतन, मनन,ध्यान लगाकर राग द्वेष से मुक्त होने का अभ्यास करते हैं। इस स्थान का यह आकर्षण हैं की आप आत्मकल्याण की भावना से प्रेरित होकर आत्मलीन होने की प्रेरणा मिलती हैं। 
यहाँ पर भगवान् महावीर स्वामी जिन्हे बड़े बाबा कहते हैं जो पद्मासन में स्थित हैं और उनके दोनों ओर भगवान पार्श्वनाथ  की १००८ फणिनी मनोहारी ,आकर्षक और अत्यंत बिरली मूर्तियां स्थापित हैं। यह स्थान औरगंजेब के नृशंस आक्रमण  होने के बाद भी यह क्षेत्र आज भी सुरक्षित हैं। वर्षों पूर्व यहाँ पर संक्रामक रोग फैलने के कारण यहाँ के निवासी पास के गांव में स्थापित हुए थे। वर्ष १९४४ में क्षुल्लक श्री गणेश प्रसाद वर्णी जी के आगमन के पश्चात् इस क्षेत्र का पुर्नसंरक्षण जन सहयोग  से किया गया जिससे यह क्षेत्र पुनः विकसित  ,सुन्दर और आकर्षक बन पड़ा। यहाँ यह अनुश्रति हैं की भगवान महावीर स्वामी की मूर्ति के दर्शन करने से आपकी मन्नत भी पूरी हो जाती हैं। तथा कभी कभी उस स्थान पर केशर की भी वर्ष होती हैं। 
इस स्थान की ऐसी पुण्य प्रवत्ति हैं जिसके कारण आचार्य विद्यासागर महाराज जी के द्वारा मुनि कुंथुसागर जी महाराज ,आर्यिका मृदुमति माता  जी ,आर्यिका अध्यात्म मति माता जी और आर्यिका पवित्र   माता जी व अन्य ब्रह्मचारी और ब्रह्मचारिणी बहिने दीक्षित हुई हैं ,
पटनागंज तीर्थ क्षेत्र  में  मंदिरों  का समूह में हैं जो अत्यंत आकर्षक  और सुन्दर कलाकृतियों से पूर्ण हैं। ऐसा माना जाता हैं की  बुंदेलखंड की यात्रा बिना पटना गंज अतिशय क्षेत्र के दर्शन बिना पूर्ण नहीं मानी जाती हैं। भगवन महावेरर स्वामी की पद्मासन मूर्ती १३ फ़ीट ऊँची और ११ फ़ीट चौड़ी हैं जो एक पहाड़ के पत्थर से काटकर बनाई गयी हैं जो भव्य, लोकलुभावन हैं जो एक बार सच्ची श्रद्धा से आता हैं तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती  हैं। सहस्त्र फनी भगवन पार्श्वनाथ की दो मूर्तियां जिनमे १००८ फन से सुशोभित हैं ये मूर्तियां अत्यंत दुर्लभ व सुन्दर कलाकृतियों से परिपूर्ण हैं ऐसी मूर्तियां अन्य स्थानों पर देखने नहीं मिलती हैं। 
इसी के साथ सहस्त्रकूट चैत्यालय जो मोहक व आकर्षक हैंजिसकी ऊंचाई ९ फ़ीट और घेरा ३२ फ़ीट हैं जिसमे १००८ पद्मासन और खडगासन मूर्तियां उकेरी गयी हैं जो अपने आप में अद्वितीय हैं यहाँ पर नंदीश्वर जिनालय और समवशरण का मंदिर वीर सम्वत १८७५ का निर्मित हैं। इसके साथ भगवान मुनि सुव्रतनाथ की बड़ी विस्तृत लालरंग और मूंगा रंग की हैं जो दसवीं शताब्दी की हैं इसके साथ भगवान् शांतिनाथ कीसाढ़े तीन फ़ीट ऊँची खडगासन मूर्ति अत्यंत भव्य सुन्दर और आकर्षक हैं। 
आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज की प्रेरणा से पटनागंज जैन मंदिर में सहस्त्रकूट जिनालय के साथ पूरे क्षेत्र  का पुनरुद्धार किया जा रहा हैं जिससे क्षेत्र में चार चाँद लग जायेंगे।  
नगर गौरव में ---मुनिश्री निर्भीक सागर जी महाराज ,आर्यिका श्री अध्यात्म मति का नाम आर्यिका श्री आदित्यमति जी ,आर्यिकाश्री संभवमति  जी ,आर्यिका श्री पारमति जी ।
इस प्रकार यह अतिशय क्षेत्र अत्यंत मनोहारी हैं। जो एक बार आता हैं वह बार बार आने की इच्छा रखता हैं। यह स्थान पहुंच के हिसाब से बहुत सुगम हैं ,यह चारो तरफ से सड़क मार्ग से जुड़ा हैं। जबलपुर सागर वाया रहली। दमोह गढ़ाकोटा रहली। रहली नरसिंगपुर आदि से सीधा जुडा हुआ हैं। 
एक स्थान पर इतनी भव्यता का दर्शन और आत्मकल्याण को प्रेरित करने वाला सुगम तीर्थ हैं। 
(लेखक- वैद्य  अरविन्द प्रेमचंद  जैन )

Related Posts