मुंबई । महाराष्ट्र में संविदा पर काम करने वालीं नर्सें, सैलरी कट या फिर सैलरी में 2-3 महीने की देरी की शिकायत कर रही हैं। प्राइवट से लेकर पब्लिक कोविड फैसिलिटी में यही हाल है। जहां मरीज़ कम हो रहे हैं वहां से नर्सों को निकाला जा रहा है। नतीजा अलग अलग ज़िलों में नर्सेस सड़कों पर हैं।
पुणे के सबसे बड़े जंबो कोविड सेंटर के 150 संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) नर्सिंग स्टाफ़ पिछले 3 महीने से बिना सैलरी काम कर रहे हैं, बुधवार को इनका ग़ुस्सा सड़कों पर दिखा। ठाणे, कोल्हापुर की नर्सों ने भी ऐसी ही शिकायतें की हैं। इसी बीच स्वास्थ्य संस्था ‘साथी' द्वारा महाराष्ट्र में नर्सिंग स्टाफ़ पर किए एक सर्वे में चौंकाने वाली जानकारी मिली है।
प्राइवट फैसिलिटी में केवल 21% नर्सों और पब्लिक सेक्टर में महज़ 7.5% नर्सिंग स्टाफ़ को कोविड भत्ता मिला है। संविदा वाले नर्सिंग स्टाफ़ को जहां कोविड भत्ता नहीं मिला है। वहीं कई जगह 2-3 महीने से वेतन बंद है, तो कई जगह इनका वेतन काटा गया है। सितम्बर-अक्टूबर महीने में राज्य के 367 नर्सेस और 5 नर्स प्रतिनिधियों को ‘साथी' की स्टडी में शामिल किया गया इनमें 47% रुरल और 53% शहरी इलाक़ों से हैं।
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महाराष्ट्र में सैलरी में 2-3 महीने की देरी से अलग-अलग ज़िलों में नर्सेस सड़कों पर