वाहक पुस्तक सत्य की, पुस्तक है उजियार।
पुस्तक ने इस लोक से, किया परे अँधियार।।
पुस्तक देती चेतना, नया सोच दे नित्य।
पुस्तक को मानें सभी, जैसे हो आदित्य।।
पुस्तक अनुशासन रचे, संस्कार की धूप।
जो पुस्तक को पूजता, पाता तेजस रूप।।
पुस्तक गढ़े चरित्र को, पुस्तक रचती धर्म।
पुस्तक में जो दिव्यता, बनती करुणा-मर्म।।
पुस्तक में इतिहास है, जो देता संदेश।
पुस्तक से व्यक्तित्व नव, रच हरता हर क्लेश।।
पुस्तक साथी श्रेष्ठतम, सदा निभाती साथ।
पुस्तक को तुम थाम लो, सखा बढ़ाकर हाथ।।
पुस्तक में दर्शन भरा , पुस्तक में विज्ञान।
पुस्तक में नव चेतना, पुस्तक में उत्थान।।
पुस्तक का वंदन करो, पुस्तक है अनमोल।
पुस्तक विद्या को गढ़े, पुस्तक की जय बोल।।
विद्यादेवी शारदा, पुस्तकधारी रूप।
पुस्तक को सब पूजते, रंक रहेे या भूप।।
पुस्तक ने संसार को, किया सतत् अभिराम।
पुस्तक जीने की कला, पुस्तक नव आयाम।।
(लेखक-प्रो.(डॉ)शरद नारायण खरे )