नई दिल्ली । आगामी 21 दिसंबर को हमारे प्लेनैट सिस्टम के दो ग्रह जूपिटर और सैटर्न एक दूसरे के इतने पास होंगे कि वो हमें एक ऑब्जेक्ट नजर आएंगे। इस एस्ट्रॉनॉमिकल इवेंट को 'ग्रेट कंजेक्शन' कहा जाता है। इसका पॉपुलर नाम 'क्रिसमस स्टार' है। साल 2020 जाते-जाते आसमान में एक खूबसूरत और अनोखा नजारा लोगों के लिए लाया है। इससे पहले यह इवेंट 17वीं शताब्दी में हुआ था और आगे चलकर 2080 में होगा। ज्यादातर लोगों के लिए यह नजारा देखने का पहला और आखिरी मौका होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस इवेंट को नंगी आंखों से साउथ वेस्ट दिशा में देखा जा सकता है। दूरबीन से यह बेहतर और टेलिस्कोप से और खूबसूरत नजर आएगा।
दिल्ली के नेहरू प्लैनेटोरियम ने इस मौके पर 20 से 22 दिसंबर तक स्काई वॉच प्रोग्राम भी रखा है, हालांकि कोविड-19 के मद्देनजर एंट्री कम संख्या में होगी। नेहरू प्लैनेटेरियम की डायरेक्टर डॉ. एन. रत्नाश्री बताती हैं, जूपिटर और सैटर्न इतने पास आ जाएंगे कि वो एक ऑब्जेक्ट लगेंगे। वो अभी भी काफी करीब आ चुके हैं और साउथ-वेस्ट दिशा में स्काई वॉचर्स उन्हें करीब देख सकते हैं। आज से भी अगर हम रोज आसमान को देखेंगे तो यह नजर आएगा कि दोनों ग्रह कैसे धीरे धीरे पास आ रहे हैं। डॉ. एन. रत्नाश्री बताती हैं, इस दिन जूपिटर काफी ब्राइट नजर आएगा क्योंकि यह हमारे यानी अर्थ के करीब है। वहीं, सैटर्न (जूपिटर के ऊपर बाईं तरफ) धुंधला होगा। दरअसल, जो ऑब्जेक्ट सूरज के पास नजर आते हैं, वो पृथ्वी से काफी दूर होते हैं इसलिए वे धुंधले होते हैं। इनके पास ही आधा चांद भी दिखेगा। वह बताती हैं, दोनों प्लैनेट को अगर टेलिस्कोप से देखा जाए, तो उन्हें अलग-अलग पहचाना जा सकेगा, नंगी आंखों से यह मुश्किल होगा। सोलर सिस्टम में जूपिटर और सैटर्न वैसे हर 20 साल में एक दूसरे को आसमान में क्रॉस करते हैं, मगर इस साल वे काफी काफी ज्यादा करीब होंगे। इस मौके पर नेहरू प्लैनेटेरियम में 20, 21 और 22 दिसंबर को स्काई वॉच प्रोग्राम रखा गया है। डॉ. रत्नाश्री कहती हैं, तीनों दिन दोनों प्लैनेट टेलिस्कोप के एक ही फ्रेम में रहेंगे।
कोविड-19 की वजह से कम संख्या में लोगों को एंट्री मिलेगी। एंट्री के लिए नेहरू प्लैनेटेरियम की वेबसाइट में जाकर रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होगा। प्लैनेटेरियम में यह इवेंट टेलिस्कोप से देखा जा सकेगा। लोग घरों से साउथ वेस्ट दिशा में 6:30 बजे के बाद इसे दूरबीन से भी देख सकते हैं। नेहरू प्लैनेटेरियम की डायरेक्टर कहती हैं, जूपिटर और सैटर्न को जब हम टेलिस्कोप से देखते हैं, तो वो एक फ्रेम में नजर नहीं आते, आपको टेलिस्कोप को घुमाना पड़ता है। मगर 21 दिसंबर को यह इतने करीब आ रहे हैं कि जब हम इन्हें टेलिस्कोप से देखेंगे तो एक ही व्यू में नजर आएंगे। साथ ही, जूपिटर के कुछ मून भी इसमें नजर आएंगे।
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जूपिटर और सैटर्न ग्रह एक ऑब्जेक्ट आएंगे नजर -21 दिसंबर को आसमान में दिखेगा अनोखा नजारा