आटो मोबाइल क्षेत्र में कार्यरत मशहूर कंपनी टाटा मोटर्स ने प्रदूषण नियंत्रण संबंधी नियामकीय परिवर्तनों के चलते धीरे-धीरे अपने पोर्टफोलियो से छोटी डीजल कारों हटाने की तैयारी कर ली है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि भारत चरण-छह उत्सर्जन मानक आने वाले हैं जिससे डीजल वाहन महंगे हो जाएंगे। देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) पहले ही कह चुकी है कि वह एक अप्रैल, 2020 से अपने डीजल वाहन हटाएगी। उस समय ही बीएस-छह मानक लागू होने हैं।
एमएसएमई का कहना है कि बीएस-छह मानक लागू होने के बाद डीजल कारें काफी महंगी हो जाएंगी और ये छोटी कार के खरीदारों की पहुंच से दूर हो जाएंगी। टाटा मोटर्स फिलहाल प्रवेश स्तर की हैचबैक टियागो एक लीटर डीजल इंजन के साथ बेचती है। इसके अलावा कंपनी सेडान कार टिगोर 1.05 लीटर के डीजल इंजन और पुराने मॉडल की बोल्ट और जेस्ट कारें 1.3 लीटर डीजल इंजन के साथ बेचती है। टाटा मोटर्स के अध्यक्ष यात्री वाहन कारोबार मयंक पारीक ने कहा, ‘हमारा मानना है कि छोटी और मध्यम आकार की डीजल इंजन वाली कारों की मांग धीमी होने की वजह से छोटी क्षमता के नए इंजन के विकास की लागत अपेक्षाकृत काफी ऊंची बैठेगी।’ उन्होंने कहा कि इस खंड में 80 प्रतिशत मांग पेट्रोल संस्करण की रहती है ऐसे में डीजल इंजन के लिए अतिरिक्त निवेश करना आर्थिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं होगा। कंपनी के अन्य उत्पादों में एसयूवी नेक्सन और हाल में पेश एसयूवी हैरियर बड़े 1.5 लीअर और 2 लीटर के पावरट्रेन के साथ आती हैं और आगे चलकर उनका अगले स्तर के लिए उन्नयन किया जा सकता है। कंपनी हैरियर के लिए दो लीटर का इंजन फिएट से खरीदती है। पारीक ने कहा कि बीएस-छह इंजनों के साथ विशेष रूप से छोटी डीजल कारों के लिए अनुपालन काफी महंगा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अंतत: इस बढ़ी लागत का बोझ अंतिम उपभोक्ता पर डालना पड़ेगा जिससे ऐसे वाहनों की मांग घटेगी।
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टाटा मोटर्स भी छोटी डीजल कारों से करेगी तौबा!