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 9 महीने से बंद है 3000 करोड़ की कोचिंग इंडस्ट्री, शहर का आर्थिक पहिया हुआ जाम -कोटा में हॉस्टर्ल्स संचालकों और निजी कोचिंग संस्थानों को शीघ्र शुरू करवाने की मांग 

 9 महीने से बंद है 3000 करोड़ की कोचिंग इंडस्ट्री, शहर का आर्थिक पहिया हुआ जाम -कोटा में हॉस्टर्ल्स संचालकों और निजी कोचिंग संस्थानों को शीघ्र शुरू करवाने की मांग 

कोटा। कई राज्यों ने अब कोचिंग सेंटर्स खोलने की तारिखों की घोषणाएं कर दी हैं। लेकिन राजस्थान में अब तक इसकी तस्वीर साफ नहीं हुई है। इससे कोचिंग इंडस्ट्री और इस व्यवसाय से जुड़े लोग अब राजस्थान में भी कोचिंग संस्थाओं को खोलने की मांग कर रहे हैं। पिछले 9 महीने से कोचिंग सेंटर्स बंद होने से कोटा की 3000 करोड़ की कोचिंग इंडस्ट्री ठप पड़ी है। कोटा में हॉस्टर्ल्स संचालकों और निजी कोचिंग संस्थानों सहित अन्य संस्थाओं से जुड़े सदस्यों के संयुक्त मोर्च ने नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को ज्ञापन सौंपकर जल्द से जल्द कोचिंग सेंटर्स शुरू करवाने की मांग की है। हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष शुभम अग्रवाल ने बताया है कि हमारे राज्य में कोचिंग शुरू करने में देरी की गई तो इसका सीधा फायदा दूसरे राज्यों के कोचिंग सेंटर को मिलेगा। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में कोटा में कोचिंग सेंटर्स की हालत खस्ताहाल है। 
  कोटा का आर्थिक पहिया बीते कई महीने से जाम है। हालात यह हैं कि अब कोचिंग और हॉस्टल्स संचालकों के साथ कोचिंग एरिया के व्यापारियों को अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देना मुश्किल हो रहा है। कई कर्मचारियों की नौकरी भी चली गई है। चंबल हॉस्टल एसोसिएशन के सचिव राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि कोटा में हर साल करीब 1 लाख 65 हजार स्टूडेंटस कोचिंग के लिए आते हैं। शहर में करीब 3000 हॉस्टल्स हैं ओर 2 हजार से ज्यादा पीजी हैं। इतने ही मैस हैं। इन सभी के सामने लोन की किश्त चुकाने का सकंट तो चल ही रहा है। इसके साथ ही करीब 15 हजार लोगों की नौकरी सिर्फ हॉस्टल्स से जा चुकी है। कोचिंग संस्थानों में काम करने वालें कर्मचारियों के परिवारों पर भी संकट लगातार गहराता जा रहा है। कोटा में सभी छोटी बड़ी कोचिंग में कुल 5 हजार फैकल्टी और 5 हजार से ज्यादा कर्मचारी हैं, जो बीते कई महीनों से आधी या उससे भी कम सैलरी पर गुजारा कर रहे हैं। जल्द ही कोचिंग सेंटर्स नहीं खोले गये तो हालात भयावह हो सकते हैं।
 

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