नई दिल्ली । किशोर बियानी के मालिकाना हक वाले फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) समूह की उस याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया, जिसमें अमेजन को सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र के फैसले के बारे में सेबी, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और अन्य प्राधिकरणों को लिखने से मना करने की अपील की गई थी। सिंगापुर के मध्यस्थता केन्द्र ने फ्यूचर समूह और रिलायंस रिटेल के बीच हुए 24,713 करोड़ रुपये के परिसंपत्ति बिक्री सौदे पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने एफआरएल की दलील को खारिज कर दिया। याचिका में दावा किया गया था कि अमेजन 24,713 करोड़ रुपये के रिलायंस-फ्यूचर सौदे पर आपातकालीन न्यायाधिकरण के फैसले के बारे में अधिकारियों को लिख रही है। न्यायालय ने आदेश में कहा कि एफआरएल ने अंतरिम निषेधाज्ञा जारी करने के लिए आवेदन किया है, लेकिन पहली नजर में सुविधा संतुलन फ्यूचर रिटेल और अमेजन दोनों के पक्ष में है, और क्या किसी भी पक्ष को कोई अपूरणीय क्षति होगी, यह मुकदमे की सुनवाई के दौरान या सक्षम मंच द्वारा निर्धारित किया जाना है।
अदालत ने आगे कहा कि उसने इस वजह से भी अंतरिम तौर पर निषेधाज्ञा नहीं दी, क्योंकि एफआरएल और अमेजन, दोनों ही वैधानिक प्राधिकारियों या नियामकों के समक्ष अपनी बात कह चुके हैं और अब इस बारे में ‘वैधानिक प्राधिकारियों/नियामकों को निर्णय लेना है।’ न्यायालय ने कहा कि समझौते को मंजूरी देने वाला एफआरएल का 29 अगस्त का बोर्ड प्रस्ताव अवैध नहीं था, जैसा कि अमेजन ने दावा किया है और इस बारे में वैधानिक अधिकारियों तथा नियामकों के समक्ष अमेजन की दलील गलत दावों पर आधारित थी। हालांकि, उच्च न्यायालय एफआरएल की इस दलील से सहमत नहीं था कि 25 अक्टूबर का अपातकालीन मध्यस्थता (ईए) आदेश कानूनी अधिकार क्षेत्र के बाहर था और इस कारण यह आदेश अमान्य है। ऐसे में अदालत ने एफआरएल की अंतरिम रोक लगाने के आवेदन को रद्द करते हुए कहा कि मांगी गई राहत नहीं दी जा सकती।
सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) ने 25 अक्टूबर के अपने आदेश में अमेजन के पक्ष में फैसला देते हुए फ्यूचर रिटेल लिमिटेड पर कंपनी की परिसंपत्तियों के किसी भी तरह के हस्तांतरण, परिसमापन या किसी करार के तहत दूसरे पक्ष से कोष हासिल करने के लिए प्रतिभूतियां जारी करने पर रोक लगाई है। मामला पिछले साल अगस्त में फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी का अमेजन द्वारा अधिग्रहण किए जाने और इसी के साथ समूह की प्रमुख कंपनी फ्यूचर रिटेल में पहले हिस्सेदारी खरीदने के अधिकार से जुड़ा है। फ्यूचर रिटेल में फ्यूचर कूपन्स की भी हिस्सेदारी है। इस संबंध में विवाद तब उत्पन्न हुआ जब फ्यूचर समूह ने करीब 24,000 करोड़ रुपये में अपने खुदरा, भंडारण और लॉजिस्टिक कारोबार को रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने का समझौता किया।
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हाई कोर्ट ने फ्यूचर रिटेल की याचिका खारिज की, केन्द्र का फैसला प्राधिकरणों को बताने पर रोक नहीं