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 प्रदर्शनकारी किसानों के लिए पंसदीदी स्थल बना गुरु तेग बहादुर का स्मारक स्थल

 प्रदर्शनकारी किसानों के लिए पंसदीदी स्थल बना गुरु तेग बहादुर का स्मारक स्थल

नई दिल्ली । केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। किसान लगभग 1 महीने से दिल्ली के सिंघु बॉर्डर और चिल्ला बॉर्डर पर डेरा जमाए बैठे हैं। उनका दावा है कि कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक वह इसी तरीके से डटे रहने वाले है। सिंधु सीमा से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है, गुरु तेग बहादुर का स्मारक स्थल। इस स्मारक परिसर को साल 2011 में जनता के लिए खोला गया था। अब यह स्मारक पंजाब से आए किसानों के लिए पसंदीदा स्थान बन गया है, जहां वे धूप सेकने और फोटो खिंचवाने पहुंच रहे हैं।उनका दावा है कि पहले मुश्किल से ही 1 दिन में 100 लोग यहां आते थे, लेकिन जब से किसानों का प्रदर्शन शुरू हुआ है तब से यहां रोजाना सैकड़ों लोग आते हैं। उन्होंने  कहा कि प्रवेश द्वार पर लंगर स्थापित होने के बाद 29 नवंबर से प्रवेश टिकट को बंद कर दिया गया है।
जब से निशुल्क प्रवेश की इजाजत दी गई है, तब से हमने आगंतुकों की संख्या का रिकॉर्ड नहीं रखा है लेकिन किसान यहां अब दिन और रात दोनों समय आ रहे हैं। करीब 11.9 एकड़ में फैले यह परिसर सिख धर्म के नौवें गुरु तेग बहादुर का स्मारक स्थल है। गुरु तेग बहादुर का जन्म में 1621 में हुआ था और 1675 में दिल्ली में वे शहीद हुए थे। लुधियाना के जाकड़ गांव से आए 10 से ज्यादा किसानों ने सोमवार को स्मारक का दौरा किया। एक बुजुर्ग किसान ने कहा कि पिछले 20 दिनों से अधिक समय से वह यहां सिंघु बॉर्डर पर डटे हुए हैं लेकिन यहां के बारे में उन्हें आज ही पता चला है। उन्होंने कहा कि यहां के शांति उन्हें पसंद आई।
 

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