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यूपी में लव जिहाद के खिलाफ कानून के बाद प्यार बनाम जिहाद

यूपी में लव जिहाद के खिलाफ कानून के बाद प्यार बनाम जिहाद

नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 'लव जिहाद' को खत्म करने के अपने वादे के अनुरूप राज्य में नया कानून लागू कर दिया है। इससे प्यार बनाम जेहाद की बहस तेज हो गई है। इस कानून के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता और विपक्षी दल अंतरधार्मिक एकता को खतरे में पड़ने की दुहाई दे रहे हैं। कई विपक्षी दल इस कानून को असंवैधानिक बता रहे हैं। इसके विपरीत भाजपा नेता कह रहे हैं कि अवैध धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए सख्त कानून का होना जरूरी है। आयु वर्ग के आधार पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि हाल के सालों में अंतरजातीय विवाहों में मामूली बढ़ोतरी हुई है। लेकिन अंतरधार्मिक विवाह की हिस्सेदारी पर करीब-करीब नहीं के बराबर असर पड़ा चार्ट-1 है। यह भी पाया गया कि अंतरधार्मिक विवाह के मामले आर्थिक रूप से संपन्न तबके में थोड़ी बढ़े (चार्ट-2) हैं। लेकिन लव जेहाद को लेकर बहस जारी है। दक्षिण पंथी लोग मुस्लिम पुरुषों और हिंदू महिलाओं के बीच रिश्ते को लव जिहाद कहकर संबोधित करते हैं। उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश- 2020 को भले ही केंद्र सरकार और अदालत ने अभी आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी है, लेकिन हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में भी इस तरह का कानून लागू करने की कवायद तेज हो गई है। फिलहाल इस कानून के खिलाफ कई याचिकाएं इलाहाबाद उच्च न्यायालय और सर्वोच्च अदालत में विचाराधीन हैं। यूपी के नए कानून के मुताबिक यह साबित हो जाता है कि धर्म परिवर्तन की मंशा से शादी की गई है, तो दोषी को 10 साल तक की सजा हो सकती है। इसके तहत जबरन, लालच देकर या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन कराने को भी गैर जमानतीय अपराध माना गया है। इसका मतलब है कि पुलिस आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार करके पूछताछ कर सकती है। तोहफा, पैसा, मुफ्त शिक्षा, रोजगार या बेहर सुख-सुविधा का लालच देकर भी धर्म परिवर्तन कराना अपराध है। धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति के माता-पिता या रिश्तेदार भी केस दर्ज करा सकते हैं। अध्यादेश में सामान्य तौर पर अवैध धर्म परिवर्तन पर पांच साल तक की जेल और 15 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन अनुसूचित जाति-जनजाति की नाबालिग लड़कियों से जुड़े मामले में 10 साल तक की सजा का प्रावधान और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। पहले पहले के धर्म में दोबारा अपनाने को धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा। अवैध धर्म परिवर्तन कराने का दोबारा दोषी पाए जाने पर सजा दो गुनी हो जाएगी। कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे जिला मजिस्ट्रेट की अदालत में दो महीने पहले आवेदन करना होगा। यह अवधि स्पेशल मैरिज एक्ट-1954 में केवल एक महीने है। आवेदन में अपना नाम, माता-पिता का नाम, स्थायी पता, अस्थायी पता, उम्र, लिंग, वैवाहिक स्थित, पेशा, मासिक आय, जाति का ब्योरा देना होगा। इसके बाद पुलिस धर्म परिवर्तन के वास्तविक कारण और मकसद की जांच करेगी। इसके अलावा आवेदक को धर्मपरिवर्तन के 60 दिन के भीतर मजिस्ट्रेट को एक अलग से हलफनामा देना होगा। इसके बाद मजिस्ट्रेट आपत्ति दर्ज करने के लिए 21 दिन की नोटिस जारी करेंगे। इसके बाद ही धर्म परिवर्तन को मंजूर किया जाएगा। 
 

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