नई दिल्ली । पूर्व क्रिकटर कीर्ति आजाद ने दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम (फिरोजशाह कोटला मैदान) पर डीडीसीए के दिवंगत अध्यक्ष अरुण जेटली की प्रतिमा लगाने के फैसले से खफा महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी का समर्थन किया है। बेदी ने क्रिकेट संघ से उनका नाम दर्शक दीर्घा से हटाने के लिये कहा है। उनके नाम पर दीर्घा 2017 में बनाई गई थी। साथ ही उन्होंने डीडीसीए की सदस्या भी छोड़ दी है। जेटली की प्रतिमा लगाने के फैसले पर विवाद गहराता जा रहा है। इस मुद्दे पर डीडीसीए के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाले पूर्व क्रिकटर कीर्ति आजाद ने एक समाचार चैनल से स्टेडियम में अरुण जेटली के समय में डीडीसीए में हुई गड़बड़ियों की बात दोहराते हुए कहा, "अरुण जेटली के रहते कई सारी गड़बड़ियां हुई थी। मैं ये नहीं कहता कि वे व्यक्तिगत रूप से उसमें थे। लेकिन उनके समय में क़रीब 400 करोड़ की गड़बड़ियां हुई थीं। मैं बिशन सिंह जी की भावना की कद्र करता हूं। स्टेडियम में स्पोर्ट्समैन की ही प्रतिमा ही होनी चाहिए। बिशन सिंह बेदी मन की बात हमेशा सामने रखते हैं। उन्होंने अपनी पीड़ा लोगों के सामने रखी।"
पूर्व भारतीय खिलाड़ी ने कहा कि क्रिकेट एडवाइज़री कमेटी बनी तो ये सुझाव मैंने ही दिए थे।अब टाइम लिमिट हो गया है। 9 साल से ज़्यादा आप नहीं रह सकते। उन्होंने कहा, "क्या 70 साल की लिमिट रहेगी? 40-45 साल तक लोग अपने पद पर रहा करते थे। खेल के अंदर राजनीति आ गई, लेकिन राजनीति में खेल की भावना आ जाए तो मज़ा आ जाए।"
कीर्ति आजाद ने ये भी कहा कि क्रिकेट में टीवी के आने के बाद से गड़बड़ियां शुरू हुई, उन्होंने कहा, "जहां गुड़ होगा, वहां मक्खी आएगी ही। बहुत लोगों ने अच्छा काम किया। लेकिन एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है। एसोसिएशन को 40-50 करोड़ साल के दिए गए। लेकिन कभी कोई आडिट नहीं हुआ। एसोसिएशन हमेशा घाटा ही दिखाते थे। ऐसी चीज़ों ने राजनीतिज्ञों का नाम खराब किया। वे चाहें तो निस्वार्थ भाव से सेवा कर सकते हैं।"
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