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(ज्वलंत मुद्दा) कांग्रेस की कमान फिर  राहुल गांधी के हाथों में आएगी! 

(ज्वलंत मुद्दा) कांग्रेस की कमान फिर  राहुल गांधी के हाथों में आएगी! 

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस समय अपनी मजबूती के लिए वह हर उपाय तलाश रही है,जो कांग्रेस को उसका जनाधार लौटा सके।जिसके लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस की कमान सौंपने का मन बना लिया है।इस बैठक में सोनिया गांधी ने स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ने की इच्छा जताई तो बैठक में मौजूद सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों ने एक स्वर में राहुल गांधी को अपना नेता माना और राहुल गांधी ने भी थोड़ी झिझक के बाद उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया।यह बैठक बुलाई ही इसलिए गई थी कि राहुल गांधी के नाम पर हो रहे गतिरोध को समाप्त किया जा सके।हालांकि पहले राहुल गांधी ने स्वयं ही कांग्रेस अध्यक्ष पद से मुक्त होकर किसी अन्य को यह जिम्मेदारी देने की जिद्द की थी जिसपर सोनिया गांधी को कार्यवाहक अध्यक्ष रूप में दायित्व सम्भालना पड़ा था।राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस विरोधी उन ताकतों का मुहं बंद होगा,जो अभी तक राहुल गांधी का मजाक उड़ाकर या फिर उन्हें कमजोर प्रचारित करके कांग्रेस की छवि खराब करने में जुटे हुए थे।लेकिन यह भी सच है कि कांग्रेस को हार के संकट से उभरने के लिए संगठन स्तर पर फेरबदल करके जमीनी कार्यकर्ताओ को आगे लाना होगा।लेकिन यह भी तय है कि एक बार फिर गांधी परिवार से बाहर के किसी व्यक्ति को कांग्रेस की कमान सोंपने की मांग बलवती नही हो सकी।स्वयं  राजस्थान के मुख्य मंत्री अशोक गहलोत और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत,गुलाम नबी आजाद, ए के एंटनी,पी चिदम्बरम, समेत बैठक में मौजूद सभी नेताओं ने राहुल गांधी पर ही भरोसा जताया। अब उन नेताओं को भी आगे लाना होगा जिनकी जमीनी स्तर पर संगठन के लिहाज से गहरी पकड़ है।राहुल गांधी उस कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिर से बनने जा रहे है जिसका भारत की आज़ादी में सबसे बड़ा योगदान रहा है। भारत की आज़ादी के बाद यह देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई थी।सन 1885 में अस्तित्व में आई कांग्रेस की स्थापना को 135 वर्ष अधिक हो चुके है।
आज़ादी के बाद 1952 में हुए चुनाव के साथ केंद्र की सत्ता में आई कांग्रेस का सन 1977 तक देश पर एकछत्र शासन था। शुरुआती 25 सालों में कांग्रेस के  सामने टक्टर में कोई बड़ी विपक्षी पार्टी भी नहीं थी.
लेकिन जब छठी लोकसभा के लिए 1977 में चुनाव हुए तो जनता पार्टी ने कांग्रेस की कुर्सी छीन ली। हालांकि तीन साल के अंदर ही सन 1980 में कांग्रेस की वापसी हो गई  थी,लेकिन 1989 में कांग्रेस को फिर हार का सामना करना पड़ा था। 11 महीनों तक भारतीय जनता पार्टी और वामदलों के समर्थन से वीपी सिंह प्रधानमंत्री रहे लेकिन बाद में कांग्रेस के समर्थन से छह महीनों से कुछ अधिक अवधि के लिए चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने थे।
सन 1980 में एक बार फिर कांग्रेस सत्ता में लौटी ।कांग्रेस छह महीने को छोड़ 1996 तक केंद्र में बनी रही. इसके बाद 2004 से 2014 तक लगातार दो बार कांग्रेस एक बार फिर केंद्र की सत्ता में धमक के साथ बनी रही।
जबकि 1991, 2004 और 2009 में कांग्रेस ने सफलता पूर्वक केंद्र में गठबंधन की सरकार का नेतृत्व किया।
1952 से 2019 तक देश में 17 बार आम चुनाव हुए हैं जिसमे कांग्रेस पार्टी ने अब तक सात बार पूर्ण बहुमत तो चार बार गठबंधन के साथ केंद्र सरकार का हिस्सा रही है।कांग्रेस ने भारत को सात प्रधानमंत्री (जवाहरलाल नेहरू, गुलज़ारीलाल नंदा, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिंहा राव और मनमोहन सिंह) दिये हैं और 50 वर्षों से अधिक केंद्र की सत्ता का नेतृत्व किया है।
आज़ादी से पहले कांग्रेस के अध्यक्ष का कार्यकाल एक साल के  हुआ करता था. सन1885 में डब्ल्यू सी बनर्जी से लेकर आज़ादी के वक़्त जेपी कृपलानी और 1950 में पुरुषोत्तम दास टंडन तक कांग्रेस ने 60 बार अपने अध्यक्ष चुने।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पिता मोती लाल नेहरू सन 1928 में कांग्रेस अध्यक्ष चुने गये तो आज़ादी से पहले जवाहर लाल नेहरू चार बार (1929, 1930, 1936, 1937) कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।
आज़ादी के बाद के अधिकांश वर्षों में कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर नेहरू-गांधी परिवार का ही राज रहा है. सन1951-52 से लेकर 1954 तक नेहरू फिर 1959 में इंदिरा गांधी. इंदिरा गांधी ही फिर 1978 से 1984 तक अध्यक्ष रहीं. उनकी मौत के बाद 1985 से 1991 तक राजीव गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने। हालांकि सबसे लंबे समय तक देश की इस सबसे पुरानी पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी रही है।वे 1998 से 2017 तक क़रीब 20 वर्षों तक पार्टी की अध्यक्ष रहीं और उनके बाद से राहुल गांधी पार्टी और फिर सोनिया गांधी कांग्रेस की कमान संभालते रहे हैं।
सन 1928 में मोती लाल नेहरू के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के साथ ही नेहरू-गांधी परिवार का इस पार्टी के अध्यक्ष पद से नाता जुड़ा जो आज तक बदस्तूर जारी है.
आज़ादी के बाद से अब तक कांग्रेस के 29 अध्यक्ष रहे हैं।इन 72 वर्षों में 37 वर्ष नेहरू-गांधी परिवार के तो 35 वर्ष ग़ैर कांग्रेसी अध्यक्ष रहे हैं।लेकिन अब फिर राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाये जाने की सहमति से यह तय हो गया है कि कांग्रेस का नेतृत्व गाँधी परिवार से बाहर नही जाएगा।(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है।)
(लेखक -डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट)
 

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