कांग्रेस के दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा हम हमारे बीच नही रहे।उनका 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।मृत्यु पर्यंत तक वे पूरी तरह स्वस्थ रहे और राजनीति में सक्रिय रहे।मोती लाल वोरा से मिलने व उनके साथ चाय पीने का मुझे कई बार सौभाग्य मिला।बहुत धीरे से बोलते थे ,लेकिन जो भी उनके पास काम लेकर गया ।उसकी बाबत हर सम्भव कोशिश भी करते थे।एक बार उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के रूप में वे रुड़की आए तो एक स्कूल के निर्माण में सहयोग के लिए स्वामी कल्याण देव ने उन्हें अपना हनुमान बताया और उनसे मन चाही घोषणा करा ली।मोती लाल वोरा को कभी गुस्से में नही देखा गया।हमेशा शांत चित्त और कम से कम बोलकर अधिक से अधिक काम करना उनकी खाशियत थी।
कांग्रेस पार्टी में वे दो दशक तक कोषाध्यक्ष रहे और अन्य कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई। मोतीलाल वोरा को लोग प्यार से दद्दू कहकर बुलाते थे और उनके बारे में मशहूर था कि बतौर कोषाध्यक्ष वे कांग्रेस पार्टी की पाई-पाई का हिसाब रखते थे और एक पैसा भी फिजूल खर्च नहीं होने देते थे।
मोतीलाल वोरा ने पहले पत्रकारिता की लंबी पारी खेली ओर फिर से राजनीति में आए । उन्होंने कई अखबारों में काम किया , यही कारण है कि वे पत्रकारों में बेहद लोकप्रिय थे। उन्हें पत्रकारों पैतरों से बचना खूब आता था और कभी भी किसी विवाद में नहीं पड़े। कांग्रेस के मुख्यालय में कोई रहे ना रहे मोतीलाल वोरा नियमित रूप से प्रत्येक दिन पार्टी कार्यालय में आते थे। 24 अकबर रोड पर कोई भी कार्यकर्ता आता तो मोतीलाल वोरा से आसानी से मुलाकात कर सकता था।
वह गांधी परिवार के वफादार रहे। पार्टी का कार्यक्रम हो मोतीलाल वोरा हमेशा सोनिया गांधी के साथ नजर आते थे।उन्होंने अपने जीवन में एक लंबी राजनीतिक पारी खेली । वह गांधी परिवार में सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही नहीं, बल्कि नरसिम्हा राव के भी करीबी माने जाते थे।
मोती लाल वोरा सन 1985 से फरवरी 1988 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।वे केंद्र सरकार में भी कैबिनेट मंत्री के पद पर आसीन रहे।सन 1993 में वे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बने और 3 साल तक इस पद पर रहे। उनके राज्यपाल रहते हुए सन 1995 में मायावती के साथ यूपी गेस्टहाउस में दुर्व्यवहार हुआ था, जिसके बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं ने राजभवन में धरना दिया था और सपा सरकार को भंग करने की मांग की गई थी।
मोतीलाल वोरा का जन्म 20 दिसंबर सन 1928 को राजस्थान के नागौर जिले में हुआ था। मोतीलाल वोरा का विवाह शांति देवी वोरा से हुआ था।उनकी चार बेटियां और दो बेटे हैं।उनके बेटे अरुण वोरा दुर्ग से विधायक हैं और वे तीन बार विधायक के रूप में चुनाव जीत चुके हैं। मोतीलाल वोरा ने वर्षों तक पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य किया और सन 1968 में राजनीति में अपना भाग्य आजमाया।सन 1970 में मध्यप्रदेश विधानसभा से चुनाव जीतकर वे पहली बार विधायक बने और राज्य सड़क परिवहन निगम के उपाध्यक्ष भी नियुक्त किए गए।सन 1977 में दोबारा विधानसभा के लिए वे चुने गए और उन्हे 1980 में अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी मिली। मोतीलाल वोरा सन1983 में कैबिनेट मंत्री बने और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त किये गए।
मोतीलाल वोरा को 13 मार्च 1985 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला और वे मुख्यमंत्री के पद पर 13 फरवरी 1988 तक आसीन रहे।इसके बाद उन्होंने इस्तीफा देकर 14 फरवरी 1988 में केंद्र के स्वास्थ्य परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार संभाला था। अप्रैल सन1988 में मोतीलाल वोरा राज्यसभा के लिए चुने गए। उन्हें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर दूसरी बार जनवरी सन1989 से दिसंबर 1989 तक नियुक्त किया गया। मोतीलाल वोरा जब मुख्यमंत्री बने तो उनकी जगह पर दिग्विजय सिंह को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।मोती लाल वोरा के निधन से पत्रकारिता और राजनीति के एक युग का अंत हो गया है।उन्हें शत शत नमन।
(लेखक- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट )
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पत्रकारिता से राजनीति तक मोतीलाल वोरा!